Warning: include_once(/home/u140703092/domains/karmyoginews.com/public_html/wp-content/plugins/wp-super-cache/wp-cache-phase1.php): Failed to open stream: No such file or directory in /home/u459374497/domains/vishvasamachar.com/public_html/wp-content/advanced-cache.php on line 22

Warning: include_once(): Failed opening '/home/u140703092/domains/karmyoginews.com/public_html/wp-content/plugins/wp-super-cache/wp-cache-phase1.php' for inclusion (include_path='.:/opt/alt/php82/usr/share/pear:/opt/alt/php82/usr/share/php:/usr/share/pear:/usr/share/php') in /home/u459374497/domains/vishvasamachar.com/public_html/wp-content/advanced-cache.php on line 22
विचाराधीन कैदियों को सुप्रीम कोर्ट ने दी बड़ी राहत, नए कानून के तहत मिलेगा फायदा… – vishvasamachar

विचाराधीन कैदियों को सुप्रीम कोर्ट ने दी बड़ी राहत, नए कानून के तहत मिलेगा फायदा…

सुप्रीम कोर्ट ने देशभर कीजेलों में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 479 को लागू करने का आदेश दिया है।

इसके तहत विचाराधीन कैदियों को लाभ मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पहली बार अपराध करने वाले कैदियों ने अगर एक तिहाई सजा पूरी कर ली है तो उन्हें बॉन्ड पर रिहा कर दिया जाए।

भारतीय न्याय संहिता की यह धारा विचाराधीन कैदियों को अधिकतम जेल में रखने के बारे में प्रावधान करती है।

बता दें कि इसी साल भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, भारतीय न्याय संहिता और भारतीय साक्ष्य संहिता को लागू किया गया है।

एएसजी ऐश्वर्य भाटी के आग्रह पर जस्टिस हिमा कोहली और संदीप मेहता की बेंच ने कहा कि गिरफ्तारी की तारीख को किनारे करके सभी विचाराधीन कैदियों पर यह धारा लागू होगी। वे इसका फायदा उठा सकते हैं।

बेंच ने जेलों के सुपरिंटेंडेंट से कहा है कि पहली बार के अपराधियों को लेकर वे धारा 479 के तहत काम करना शुरू करें।

अगर कैदियों ने एक तिहाई सजा काट ली है तो उन्हें बॉन्ड पर रिहा किया जाए। कोर्ट ने कहा है कि दो महीने के भीतर इस दायरे में आने वाले कैदियों को छोड़ा जाए और इसकी रिपोर्ट राज्य या केंद्र सरकार के संबंधित विभाग को दिया जाए।

जस्टिस कोहली ने कहा, जो कैदी तय क्राइटीरिया पूरी कर रहे हैं उन्हें दिवाली अपने परिवार के साथ मनाने का मौका दिया जाए। भाटी ने भी कोर्ट से कहा कि जेलरों को विचाराधीन कैदियों को निकालने का निर्देश दिया जाए। ऐसे कैदियों को भी इसका फायदा दिया जाए जो भले ही पहली बार के अपराधी ना हों लेकिन उन्होंने अधिकतम सजा में से आधी काट ली हो।

हालांकि अगर किसी कैदी ने कोई बड़ा अपराध किया है तो उसे फायदा नहीं मिलेगा। बेंच ने राज्य सरकारों को ऐसे कैदियों के आंकड़े इकट्ठा करने का निर्देश दिया है जिससे कि उनकी रिहाई सुनिश्चित की जाए। मामले की सुनवाई अक्टूबर में फिर होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *