Warning: include_once(/home/u140703092/domains/karmyoginews.com/public_html/wp-content/plugins/wp-super-cache/wp-cache-phase1.php): Failed to open stream: No such file or directory in /home/u459374497/domains/vishvasamachar.com/public_html/wp-content/advanced-cache.php on line 22

Warning: include_once(): Failed opening '/home/u140703092/domains/karmyoginews.com/public_html/wp-content/plugins/wp-super-cache/wp-cache-phase1.php' for inclusion (include_path='.:/opt/alt/php82/usr/share/pear:/opt/alt/php82/usr/share/php:/usr/share/pear:/usr/share/php') in /home/u459374497/domains/vishvasamachar.com/public_html/wp-content/advanced-cache.php on line 22
पूर्वोत्तर के छात्रों में बढ़ रहा है एचआईवी का संक्रमण… – vishvasamachar

पूर्वोत्तर के छात्रों में बढ़ रहा है एचआईवी का संक्रमण…

पूर्वोत्तर भारत के त्रिपुरा, मणिपुर और मिजोरम में एचआईवी संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं।

त्रिपुरा से आई एक रिपोर्ट के मुताबिक स्कूलों-कॉलेजों में एचआईवी के 800 से ज्यादा नए मामले आए हैं, जिनमें 47 छात्रों की मौत हुई है।

रिपोर्ट आने के अगले ही दिन यानी बुधवार को राज्य एड्स कंट्रोल सोसाइटी ने साफ किया कि यह आंकड़े वर्ष 2007 से 2024 यानी बीते 17 वर्षों के हैं।

हालांकि राज्य से रोजाना औसतन जितने नए मामले सामने आ रहे हैं, वह भी चौंकाने वाले हैं। भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में मणिपुर कभी एचआईवी पीड़ितों के मामले में पहले स्थान पर था। इन दोनों के अलावा मिजोरम और नागालैंड से भी नए मामले आ रहे हैं।

त्रिपुरा स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी की ओर से राजधानी अगरतला में एक वर्कशाप में कहा गया कि राज्य के स्कूलों व कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों में एड्स के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।

सोसायटी के मुताबिक 220 स्कूलों और 24 कॉलेजों में सर्वेक्षण और 164 स्वास्थ्य केंद्रों से मिले आंकड़ों से पता चला है कि अब तक 828 छात्र एड्स की चपेट में आ चुके हैं।

इनमें से 47 की मौत भी हो चुकी है। एचआईवी संक्रमित लोगों में से 572 लोग राज्य में ही हैं। इनके अलावा दो सौ से ज्यादा छात्र उच्च शिक्षा के लिए देश के दूसरे शहरों में रह रहे हैं। एचआईवी के गढ़ सिडनी ने वायरस के फैलाव को रोका हर साल एचआईवी के हजारों मामले इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद राज्य में विवाद पैदा हो गया।

उसके बाद सोसायटी की ओर से बयान कर कहा गया कि यह आंकड़े बीते 17 वर्षों के हैं

इनमें से 47 की मौत भी हो चुकी है। एचआईवी संक्रमित लोगों में से 572 लोग राज्य में ही हैं। इनके अलावा दो सौ से ज्यादा छात्र उच्च शिक्षा के लिए देश के दूसरे शहरों में रह रहे हैं। एचआईवी के गढ़ सिडनी ने वायरस के फैलाव को रोका हर साल एचआईवी के हजारों मामले इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद राज्य में विवाद पैदा हो गया।

त्रिपुरा स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी की प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ.समर्पिता दत्त डीडब्ल्यू से बातचीत में बताती हैं, “मीडिया में समय काल का जिक्र किए बिना सिर्फ मरीजों की तादाद बताने से आतंक पैदा हो गया।

लेकिन यह आंकड़ा बीते 17 वर्षों का है” हालांकि स्कूली छात्रों में इस बीमारी के संक्रमण के आंकड़ों को 17 साल का मानने पर भी तस्वीर भयावह नजर आती है। सोसायटी ने कहा है कि वर्ष 2022-23 के दौरान राज्य में एचआईवी संक्रमण के कुल 1,847 नए मामले सामने आए थे और उनमें से 67 लोगों की मौत हो गई।

इसी तरह वर्ष 2023-24 के दौरान सामने आने वाले ऐसे 1,790 नए मामलों में 44 लोगों की मौत हो गई।. त्रिपुरा सरकार के आंकड़ों की मानें तो राज्य में एचआईवी संक्रमण के रोजाना औसतन पांच से सात नए मामले आ रहे हैं।

इस साल मई तक त्रिपुरा के एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी सेंटरों (एटीआर) में 8,729 संक्रमितों के नाम पंजीकृत हैं। इनमें से 5,674 लोग एचआईवी पॉजिटिव हैं. इनमें एक ट्रांसजेंडर के अलावा 1,103 महिलाएं भी शामिल हैं।

राज्य में एचआईवी के बढ़ते मामलों को ध्यान में रखते हुए वर्ष 1999 में त्रिपुरा स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी का गठन किया गया था।

हाल के सर्वेक्षण के हवाले से सोसायटी का कहना है कि अभिजात्य परिवारों में संक्रमण की दर अपेक्षाकृत ज्यादा है। स्कूली छात्रों के संक्रमण के ज्यादातर मामलों में पिता और माता, दोनों सरकारी नौकरी करते हैं।

इसलिए वो अपने बच्चों की अनुचित मांगें भी मान लेते हैं। 40 से ज्यादा देशों में एचआईवी पीड़ितों पर हैं यात्रा प्रतिबंध नशीली दवाओं का उपयोग एचआईवी का बड़ा कारण प्रोजेक्ट डाइरेक्टर डाय दत्त ने डीडब्ल्यू को बताया कि इंजेक्शन के जरिए नशीली दवाओं का बढ़ता सेवन ही स्कूली छात्रों में एचआईवी संक्रमण फैलने की सबसे प्रमुख वजह है. छात्रों को जरूरत से ज्यादा छूट देने का मतलब इस विपत्ति को न्योता देना है।

जब तक माता-पिता को इस गलती का अहसास होता है तब तक देर हो चुकी होती है। सर्वेक्षण के दौरान राज्य के 220 स्कूलों और 24 कॉलेजों में संक्रमित छात्रों का पता चला था।

विशेषज्ञों का कहना है कि फिलहाल त्रिपुरा की रिपोर्ट ने भले चिंता बढ़ाई हो, पूर्वोत्तर में यह समस्या बहुत पुरानी है। नवंबर, 2023 में प्रकाशित एक रिपोर्ट में राज्य में एचआईवी/एड्स संक्रमितों की तादाद 5,200 बताई गई थी।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. निमाई चंद्र दास डीडब्ल्यू से कहते हैं, “राज्य में यौन संक्रमण से एचआईवी की चपेट में आने वाले लोगों की तादाद घट कर दो फीसदी से भी नीचे आ गई है। लेकिन खासकर कम उम्र के लड़के-लड़कियों में इंजेक्शन के जरिए नशीली वस्तुओं के सेवन की तेजी से बढ़ती प्रवृत्ति ने परिस्थिति को खतरनाक बना दिया है।

मिजोरम के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से इस साल मार्च में जारी एक रिपोर्ट में बताया गया था कि वर्ष 2023 के दौरान राज्य में प्रति एक हजार लोगों में से 0.23 फीसदी लोग एचआईवी/एड्स से संक्रमित हैं। वहां वयस्कों में यह संक्रमण सबसे ज्यादा है।

वैसे, मिजोरम में आबादी के लिहाज से एचआईवी संक्रमितों की मौत की दर सबसे ज्यादा है। करीब 10 लाख की आबादी वाले इस सीमावर्ती पर्वतीय राज्य में बीते ढाई दशकों के दौरान लगभग दो हजार लोगों की इस बीमारी के कारण मौत हो चुकी है।

योनी में पहने जा सकने वाले छल्ले जो एड्स से बचाते हैं नहीं दर्ज होने वाले मामले भी बहुत ज्यादा दूसरी ओर, नागालैंड में इस मामले में गर्भवती महिलाओं की तादाद दूसरों से ज्यादा है। नागालैंड स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी के निदेशक डॉ.आहू सेखोसे ने डीडब्ल्यू को बताया, “अप्रैल, 2023 से मार्च, 2024 के दौरान राज्य में 48,777 लोगों के खून के नमूनों की जांच की गई थी।

उनमें से 960 लोगों में एचआईवी संक्रमण का पता चला” इस बीच, मणिपुर सरकार का दावा है कि राज्य में एचआईवी संक्रमण में कमी दर्ज की गई है।. वर्ष 2010 में जहां राज्य की कुल वयस्क आबादी का 1.99 फीसदी एचआईवी संक्रमित था, वहीं 2021 में यह आंकड़ा घट कर 0.94 फीसदी रह गया।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि एड्स के सरकारी आंकड़े ही भयावह हैं। लेकिन इन राज्यों में सुदूर ग्रामीण इलाकों में ज्यादातर लोग समाज और अपने सम्मान की वजह से ऐसे मामलों को दर्ज नहीं कराते। पूरी आबादी की संक्रमण के लिए जांच भी संभव नहीं है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. निर्मल डेका डीडब्ल्यू से बातचीत में कहते हैं, “खासकर स्कूली छात्रों में एचआईवी का बढ़ता संक्रमण गहरी चिंता का विषय है। इससे साफ है कि उनको नशीली वस्तुएं आसानी से उपलब्ध हैं।

इस गंभीर समस्या पर अंकुश लगाने के लिए सरकार की तमाम संबंधित एजेंसियों को सीमा पार से नशीली वस्तुओं की आमद रोकने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।साथ ही गैर-सरकारी संगठनों को साथ लेकर शिक्षण संस्थानों में इस बीमारी के दुष्प्रभावों के बारे में बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान भी चलाना होगा”।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

nagatop

nagatop

kingbet188

slot gacor

SUKAWIN88