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कर्क, वृश्चिक, कुंभ, मकर और मीन राशि वाले शनि जयंती पर जरूर करें ये उपाय, शनि की महादशा से मिलेगा छुटकारा… – vishvasamachar

कर्क, वृश्चिक, कुंभ, मकर और मीन राशि वाले शनि जयंती पर जरूर करें ये उपाय, शनि की महादशा से मिलेगा छुटकारा…

प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार): 

ज्योतिष में शनिदेव को विशेष स्थान प्राप्त है।

शनिदेव न्याय के देवता हैं और सभी ग्रहों में सबसे धीमी चाल चलते हैं। शनि के अशुभ होने पर व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

इस समयकर्क, वृश्चिक राशि पर शनि की ढैय्या और मकर, कुंभ, मीन राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है। शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या लगने पर व्यक्ति को अपना विशेष ध्यान रखना चाहिए।

हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि पर शनि देव का जन्म हुआ था। इस दिन को शनि जयंती के नाम से जाना जाता है।

इस पावन दिन शनि देव की पूजा- अर्चना करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनि देव कर्म फल दाता हैं।

शनि देव कर्मों के हिसाब से फल देते हैं। शनि जयंती के दिन शनि के अशुभ प्रभावों से मुक्ति के लिए शनि देव की विधि- विधान से पूजा- अर्चना करनी चाहिए। 

शनि के अशुभ प्रभावों से मुक्ति के लिए आज  राजा दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस स्तोत्र का पाठ करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। 

आगे पढ़ें राजा दशरथ कृत शनि स्तोत्र…

राजा दशरथ कृत शनि स्तोत्र
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ।।
 
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।।
 
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ  वै नम:।
नमो दीर्घायशुष्काय कालदष्ट्र नमोऽस्तुते।।

नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निरीक्ष्याय वै नम:।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।।
 
नमस्ते सर्वभक्षाय वलीमुखायनमोऽस्तुते।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करे भयदाय च।।
 
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तुते।
नमो मन्दगते तुभ्यं निरिस्त्रणाय नमोऽस्तुते।।
 
तपसा दग्धदेहाय नित्यं  योगरताय च।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:।।
 
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज सूनवे।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।।
 
देवासुरमनुष्याश्च  सिद्घविद्याधरोरगा:।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशंयान्ति समूलत:।।
 
प्रसाद कुरु  मे  देव  वाराहोऽहमुपागत।
एवं स्तुतस्तद  सौरिग्र्रहराजो महाबल:।।

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