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राफा के खिलाफ रथ रोकने को तैयार नहीं इजरायल, अदालत की भी कर दी अनसुनी… – vishvasamachar

राफा के खिलाफ रथ रोकने को तैयार नहीं इजरायल, अदालत की भी कर दी अनसुनी…

हमास के खिलाफ कार्रवाई कर रहे इजरायल का रुख राफा की तरफ है।

ताजा रणनीति से संकेत मिल रहे हैं कि इजरायल अब इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस यानी ICJ के फैसले को भी मानने को तैयार नहीं है।

हालांकि, प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने राफा में हमलों को लेकर ‘गलती’ मानी है और जांच की बात कही है। खास बात है कि ICJ ने कार्रवाई रोकने की मांग की थी। खबरें हैं कि नेतन्याहू के कई साथी अदालतके फैसले पर नाराजगी जाहिर कर रहे थे।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल की तरफ से सैन्य गतिविधियां जारी रखी गई हैं। राफा की तरफ से इजरायल की तोपों का आगे बढ़ना और हमले जारी है।

नेतन्याहू ने दर्जनों लोगों की मौत के बाद माना है कि ‘भयावह गलती’ हुई है। सोमवार को संसद में अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि इजरायल बीती रात हुए हमले की जांच कर रहा है। 

इधर, नेतन्याहू के कई साथी ICJ पर antisemitism या यहूदी विरोधी भावना के आरोप लगा रहे हैं। साथ ही हमास के मामले में भेदभाव करने की बात कह रहे हैं।

सरकार के पूर्व प्रवक्ता ईलोन लेवी ने जज नावाफ सलाम की राष्ट्रीयता का जिक्र किया और कहा कि उनका फैसला उनके लेबनान कनेक्शन से प्रभावित हो सकता है।

रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसे में नेतन्याहू के आलोचकों का मानना है कि अदालत का फैसला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इजरायल का तेजी से अलग-थलग पड़ना दिखाता है।

खास बात है कि इजरायल इस बात से भी निराश है कि उसके तर्कों को ICJ के जजों ने नहीं माना।

इजरायल इस बात पर कायम है कि राफा में आम नागरिकों की सुरक्षा और गाजा में भोजन समेत अन्य सप्लाई सुनिश्चित करने के प्रयास किए गए हैं। इजरायल ने कई सामग्रियों की एंट्री की अनुमति दी है, जिसके चलते भोजन उपलब्ध है।

हालांकि, ICJ इजरायल की तरफ से उठाए गए कदमों से संतुष्ट नजर नहीं आया। रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत ने बड़े स्तर पर हो रहे विस्थापन को फिलिस्तीन को लोगों के लिए बड़ा खतरा भी माना है।

साथ ही इससे लेकर आगे कार्रवाई की जरूरत बताई है। इधर, दक्षिण अफ्रीका का तर्क है कि गाजा की सुरक्षा की अंतिम रेखा राफा है और अगर ये ढह गया, तो फिलिस्तीन की आबादी के लिए अपूर्णीय क्षति होगी।

इजरायल को हमास के खिलाफ अपने युद्ध के चलते बढ़ती अंतरराष्ट्रीय आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। इजरायल के करीबी सहयोगियों खासकर अमेरिका ने नागरिकों की मौत पर नाराजगी जताई है।

इजरायल इस बात पर जोर देता है कि वह अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करता है, जबकि उसे दुनिया की शीर्ष अदालतों में जांच का सामना करना पड़ रहा है।

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