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8 मई को वैशाख अमावस्या, नोट करें पूजाविधि, पूजा का समय, स्नान-दान मुहूर्त और महत्व… – vishvasamachar

8 मई को वैशाख अमावस्या, नोट करें पूजाविधि, पूजा का समय, स्नान-दान मुहूर्त और महत्व…

प्रवीण नांगिया (ज्योतिष सलाहकार):

हिन्दू धर्म में वैशाख अमावस्या काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। मई के महीने में पड़ने वाली अमावस्या को वैशाख अमावस्या के नाम से जाना जाता है।

उदया तिथि के मद्देनजर, इस साल 8 मई के दिन वैशाख अमावस्या पड़ रही है। वैशाख अमावस्या के दिन विशेष तौर पर विष्णु जी की पूजा-अर्चना की जाती है। इ

सलिए आइए जानते हैं वैशाख अमावस्या का शुभ मुहूर्त, पूजा-विधि, उपाय और महत्व-

कब से शुरू है वैशाख अमावस्या?
वैशाख, कृष्ण अमावस्या प्रारम्भ – 11:40 ए एम, मई 07
वैशाख, कृष्ण अमावस्या समाप्त – 08:51 ए एम, मई 08
स्नान-दान मुहूर्त- सुबह 05.20 – सुबह 08:50 तक 

पितृ दोष और काल सर्प दोष उपाय 
वैशाख अमावस्या की विशेष तिथि पर कुछ उपायों की मदद से पितृ दोष और काल सर्प दोष से मुक्ति मिल सकती है। इसलिए इस दिन पूरी श्राद्धा के साथ भगवान शिव की आराधना करें।

वहीं, पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए इस दिन पितृ स्तोत्र और पितृ कवच का पाठ जरूर करें। वैशाख अमावस्या पर ब्राह्मणों को भोजन कराने और तर्पण करने से पितरों की कृपा घर के सदस्यों पर बनी रहती है। 

फाल्गुनी अमावस्या शुभ मुहूर्त 

  • ब्रह्म मुहूर्त- 04:10 ए एम से 04:52 ए एम    
  • प्रातः सन्ध्या- 04:31 ए एम से 05:35 ए एम
  • अभिजित मुहूर्त- कोई नहीं    
  • विजय मुहूर्त- 02:32 पी एम से 03:26 पी एम
  • गोधूलि मुहूर्त- 07:00 पी एम से 07:21 पी एम    
  • सायाह्न सन्ध्या- 07:01 पी एम से 08:04 पी एम
  • अमृत काल- 09:09 ए एम से 10:37 ए एम    
  • निशिता मुहूर्त- 11:56 पी एम से 12:39 ए एम, मई 09
  • सर्वार्थ सिद्धि योग- 01:33 पी एम से 05:34 ए एम, मई 09

पूजा-विधि 
1- स्नान आदि कर मंदिर की साफ सफाई करें
2- गणेश जी को प्रणाम करें
3- विष्णु जी का पंचामृत सहित गंगाजल से अभिषेक करें
4- अब प्रभु को पीला चंदन और पीले पुष्प अर्पित करें
5- मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें
6- श्री विष्णु चालीसा का पाठ करें
7- पूरी श्रद्धा के साथ विष्णु जी की आरती करें
8- तुलसी दल सहित भोग लगाएं 
9- अंत में क्षमा प्रार्थना करें

महत्व 
वैशाख अमावस्या के दिन दान और स्नान करने का विशेष महत्व माना जाता है। वैशाख की अमावस्या पर दान करने से पितृ दोष के दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है।

इसके अलावा वैशाख अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान जरूर करना चाहिए। वहीं, इस दिन गाय, कौवे और कुत्ते को भोजन कराने से जीवन के कष्ट दूर हो सकते हैं। 

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। 

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