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विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत आज, नोट करें मुहूर्त, पूजाविधि, चंद्रोदय समय, मंत्र, उपाय, व्रत पारण-विधि… – vishvasamachar

विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत आज, नोट करें मुहूर्त, पूजाविधि, चंद्रोदय समय, मंत्र, उपाय, व्रत पारण-विधि…

प्रवीण नांगिया (ज्योतिष सलाहकार):

आज वैशाख, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा।विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान श्री गणेश को समर्पित है। 

संतान की प्राप्ति और संतान की दीर्घायु के लिए माताएं ये व्रत रखती हैं। इस दिन गणेश भगवान के साथ चंद्र देव की उपासना भी की जाती है। 

आइए जानते हैं विकट संकष्टी चतुर्थी मुहूर्त, पूजा-विधि, मंत्र, उपाय, चंद्रोदय समय, गणेश जी की आरती और व्रत पारण की सही विधि-

संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त 

चतुर्थी तिथि प्रारम्भ – अप्रैल 27, 2024 को 08:17 ए एम बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त – अप्रैल 28, 2024 को 08:21 ए एम बजे
संकष्टी के दिन चन्द्रोदय का समय – 10:23 पी एम                                                                   

पूजा-विधि 
1- भगवान गणेश जी का जलाभिषेक करें       
2- गणेश भगवान को पुष्प, फल चढ़ाएं और पीला चंदन लगाएं 
3- तिल के लड्डू या मोदक का भोग लगाएं  
4- विकट संकष्टी चतुर्थी की कथा का पाठ करें 
5- ॐ गं गणपतये नमः मंत्र का जाप करें 
6- पूरी श्रद्धा के साथ गणेश जी की आरती करें 
7- चंद्रमा के दर्शन करें और अर्घ्य दें 
8- व्रत का पारण करें 
9- क्षमा प्रार्थना करें 

चाँद निकलने का टाइम
अप्रैल 27 को रात 10 बजकर 23 मिनट पर चंद्रोदय होगा। हालांकि, अलग-अलग शहरों में चांद निकलने के समय में थोड़ा अंतर हो सकता है। चंद्र दर्शन और पूजा के बाद ही व्रत सम्पूर्ण माना जाता है। 

उपाय- गणेश चालीसा का पाठ करें 

मंत्र- ॐ गणेशाय नमः

व्रत का पारण कैसे करें?
विकट संकष्टी चतुर्थी के व्रत का पारण करने के अगले दिन भी केवल सात्विक भोजन या फलाहार ही ग्रहण करें और तामसिक भोजन से परहेज करें।

संकष्टी चतुर्थी में व्रत खोलने के लिए चंद्रमा दर्शन और पूजन को जरूरी माना गया है।

इस व्रत को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद पूर्ण माना जाता है। चंद्रोदय के बाद अपनी सुविधा के अनुसार अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें और अपनी मनोकामना के लिए पूजा-अर्चना करें।

गणेश जी की आरती 
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

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