Warning: include_once(/home/u140703092/domains/karmyoginews.com/public_html/wp-content/plugins/wp-super-cache/wp-cache-phase1.php): Failed to open stream: No such file or directory in /home/u459374497/domains/vishvasamachar.com/public_html/wp-content/advanced-cache.php on line 22

Warning: include_once(): Failed opening '/home/u140703092/domains/karmyoginews.com/public_html/wp-content/plugins/wp-super-cache/wp-cache-phase1.php' for inclusion (include_path='.:/opt/alt/php82/usr/share/pear:/opt/alt/php82/usr/share/php:/usr/share/pear:/usr/share/php') in /home/u459374497/domains/vishvasamachar.com/public_html/wp-content/advanced-cache.php on line 22
भ्रामक विज्ञापन केस में आज खुद SC में पेश होंगे बाबा रामदेव, पतंजलि को मांगनी पड़ी थी माफी… – vishvasamachar

भ्रामक विज्ञापन केस में आज खुद SC में पेश होंगे बाबा रामदेव, पतंजलि को मांगनी पड़ी थी माफी…

योग गुरु रामदेव आज सुप्रीम कोर्ट में व्यक्तिगत तौर पर पेश हो सकते हैं।

पंतजलि आयुर्वेद पर भ्रमित करने वाले विज्ञापन जारी करने के मामले में सुनवाई चल रही है।

इसी मामले में अदालत ने योग गुरु रामदेव और कंपनी के एमडी बालकृष्ण को व्यक्तिगत तौर पर पेश होने का आदेश दिया था।

यही नहीं पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि की ओर से उसके निर्देशों का पालन न किए जाने पर नाराजगी भी जताई थी। सुप्रीम कोर्ट की नसीहत के बाद पतंजलि की ओर से माफी भी मांगी गई थी।

कंपनी ने कहा था कि हमारा मकसद सिर्फ यह था कि देश के नागरिकों को अपने प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हुए स्वस्थ जीवन के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। 

इससे पहले अदालत ने 27 फरवरी को पतंजलि से कहा था कि वह सभी इलेक्ट्ऱॉनिक और प्रिंट मीडिया माध्यमों पर आ रहे विज्ञापनों को तत्काल प्रभाव से रोके। अदालत ने कहा था कि इन विज्ञापनों में आपने अपनी दवाओं को लेकर गलत दावे किए हैं।

इसलिए ऐसे विज्ञापनों को तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाए। यही नहीं अदालत ने केंद्र सरकार की भी खिंचाई करते हुए कहा था कि आपने इस पर ऐक्शन नहीं लिया और आंखें बंद किए रहे। बेंच ने कहा था, ‘यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकार को तत्काल कुछ ऐक्शन लेना होगा।’

दरअसल इस मामले की शुरुआत बीते साल नवंबर से हुई थी, जब सुप्रीम कोर्ट में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से याचिका दाखिल की गई थी।

इस अर्जी में कहा गया था कि पतंजलि की ओर से अपनी दवाओं के बारे में गलत दावे किए जा रहे हैं। उसके प्रचार इलेक्ट्ऱॉनिक और प्रिंट मीडिया में चल रहे हैं।

IMA ने ऐसे कई विज्ञापनों का उदाहरण भी सुप्रीम कोर्ट में दिया था, जिनमें एलोपैथी चिकित्सा पद्धति और उसके डॉक्टरों को कमतर बताया गया था। 

एलोपैथी की दवाएं और इलाज के बाद भी मौत जैसी बातों पर आपत्ति

यही नहीं IMA का कहना था कि आयुर्वेदिक दवाएं बनाने वाली कई कंपनियां भी ऐसा ही करती हैं।

इनमें से कुछ विज्ञापनों में कहा गया था कि एलोपैथी चिकित्सा पद्धति के तहत इलाज करने वाले खुद भी मौत का शिकार हो रहे हैं, जबकि वे आधुनिक इलाज ले रहे हैं। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

nagatop

nagatop

kingbet188

slot gacor

SUKAWIN88