Warning: include_once(/home/u140703092/domains/karmyoginews.com/public_html/wp-content/plugins/wp-super-cache/wp-cache-phase1.php): Failed to open stream: No such file or directory in /home/u459374497/domains/vishvasamachar.com/public_html/wp-content/advanced-cache.php on line 22

Warning: include_once(): Failed opening '/home/u140703092/domains/karmyoginews.com/public_html/wp-content/plugins/wp-super-cache/wp-cache-phase1.php' for inclusion (include_path='.:/opt/alt/php82/usr/share/pear:/opt/alt/php82/usr/share/php:/usr/share/pear:/usr/share/php') in /home/u459374497/domains/vishvasamachar.com/public_html/wp-content/advanced-cache.php on line 22
भारत के खिलाफ दोनों जंग में ईरान-पाकिस्तान हो गए थे एक, जर्मनी से खरीदकर भेजा था F-86 फाइटर जेट… – vishvasamachar

भारत के खिलाफ दोनों जंग में ईरान-पाकिस्तान हो गए थे एक, जर्मनी से खरीदकर भेजा था F-86 फाइटर जेट…

आज भले ही पाकिस्तान और ईरान के बीच तलवारें खिंची हुई हों।

दोनों देशों के रिश्ते बिगड़ गए हों लेकिन एक समय ऐसा भी थी, जब ईरान ने इस्लामिक देश होने के नाते भारत के खिलाफ जंग में पाकिस्तान की खूब मदद की थी।

यहां तक कि पाकिस्तान की माली हालत खराब होने के बावजूद उसे पश्चिमी देशों से फाइटर जेट, मिसाइल और अत्याधुनिक हथियार खरीदकर दिए थे, ताकि भारत को युद्ध में हरा सके लेकिन 1965 और 1971 दोनों युद्ध में पाकिस्तान को भारत से मुंह की खानी पड़ी थी।

ईरान-पाकिस्तान की दोस्ती की नींव
ईरान-पाकिस्तान संबंधों की नींव पाकिस्तान के जन्म के साथ ही रखी गई थी। जब 14 अगस्त, 1947 को पाकिस्तान आजाद हुआ, तभी  ईरान पाकिस्तान की संप्रभुता को मान्यता देने वाला पहला देश बन गया।

दोनों देशों ने मई 1950 में मित्रता की संधि पर भी हस्ताक्षर किए। ईरान के शाह, शाह रज़ा पहलवी, 1956 में पड़ोसी देश का दौरा करने वाले पहले राज्य प्रमुख बने।

पाकिस्तान के संस्थापक पिता, मोहम्मद अली जिन्ना से उनकी और इस्लामिक दुनिया के साथ अच्छे संबंध थे। इसके तुरंत बाद पाकिस्तान ने तेहरान में अपना पहला दूतावास खोला था।

जब भारत ने अरब वर्ल्ड के नेता के रूप में मिस्र का समर्थन किया, तो ईरान को मिर्ची लग गई थी। तब ईरान ने भारत के खिलाफ पाकिस्तान से अपनी दोस्ती खूब गाढ़ी की।

शीत युद्ध के दौरान, ईरान और पाकिस्तान ने खुद को पश्चिमी देशों के साथ कर लिया और वे 1955 में कम्युनिस्ट विरोधी गठबंधन, सेंट्रल ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (CENTO) के संस्थापक सदस्य देश बन गए थे।

भारत के खिलाफ 1965 और 1971 के जंग में दिया साथ
जब भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 और 1971 में जंग छिड़ी तब ईरान ने पाकिस्तान का भरपूर समर्थन किया और खुद को भरोसेमंद दोस्त साबित किया।

1965 में युद्ध छिड़ने के बाद, ईरानी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा था,”हम पाकिस्तान के खिलाफ भारत की आक्रामकता से चिंतित हैं।”

जब इस जंग में पाकिस्तान जब हथियार नहीं जुटा पा रहा था, तब  ईरान ने जर्मनी से हथियार लाकर उसे पाकिस्तान तक पहुंचाकर एक ‘डीलर’ के रूप में काम किया था।

इंडिया टुडे की रिपोर्ट में यूएस इंटेलिजेंस मेमोरेंडम दस्तावेज़ के हवाले से कहा गया है कि जब माली हालत वाला पाकिस्तान पश्चिमी देशों से सैन्य हथियार जुटा पाने में नाकाम रहा तो ईरान ने पश्चिमी देशे खासकर जर्मनी से कई F-86 जेट लड़ाकू विमान, हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, तोपखाने और गोला-बारूद खरीदे और उनमें से कुछ फाइटर जेट विमान ईरान के रास्ते पाकिस्तान पहुंचाए गए थे, जबकि कई हथियार सीधे कराची में डिलीवर कराए गए थे।

1971 की जंग में दिए 12 हेलीकॉप्टर
भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में छिड़े दूसरे युद्ध के दौरान ईरान ने पाकिस्तान को 12 हेलीकॉप्टर, तोपखाने, गोला-बारूद और स्पेयर पार्ट्स जैसे सैन्य उपकरण दिए थे।  

संयुक्त राज्य अमेरिका के एक विदेशी संबंध दस्तावेज़ के अनुसार, युद्ध के दौरान ईरान ने पाकिस्तान को सस्ती दरों पर तेल भी उपलब्ध कराया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

nagatop

nagatop

kingbet188

slot gacor

SUKAWIN88