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‘वनवास से राम की वास्तविक घर वापसी’, प्राण प्रतिष्ठा में आडवाणी के शामिल होने से खुश पुजारी… – vishvasamachar

‘वनवास से राम की वास्तविक घर वापसी’, प्राण प्रतिष्ठा में आडवाणी के शामिल होने से खुश पुजारी…

अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भारतीय जनता पार्टी के सीनियर नेता लाल कृष्‍ण आडवाणी भी शामिल होंगे। इस खबर से अयोध्या के लोगों में खुशी और उत्साह का माहौल है।

राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने भी इसे लेकर खुशी जताई है। उन्होंने कहा, ‘अगर आडवाणी जी रामलला के दर्शन करने आ रहे हैं तो यह अयोध्या के लिए एक खुशी का क्षण होगा।

इसका पूरा श्रेय आडवाणी को जाता है कि उन्होंने राम जन्मभूमि के लिए हिंदू जनता के बीच जन जागरूकता पैदा की।’

प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आडवाणी के शामिल होने पर अयोध्या के पुराने सियाराम मंदिर के पुजारी महंत राम दास की भी प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने कहा, ‘अगर आडवाणी जी उस शुभ दिन पर अयोध्या आ रहे हैं, तो यह वनवास से राम की वास्तविक घर वापसी जैसा होगा।’

विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने गुरुवार को कहा था कि लालकृष्ण आडवाणी राम मंदिर प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होंगे।

96 वर्षीय आडवाणी भाजपा के संस्थापक सदस्य हैं और एक अन्य भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी के साथ 1990 के दशक की शुरुआत में राम मंदिर आंदोलन में सबसे आगे रहे थे।
     
आडवाणी को न बुलाने की बात पर हुआ था विवाद
पिछले महीने, राम मंदिर ट्रस्ट ने कहा था कि आडवाणी और एक अन्य भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी दोनों के स्वास्थ्य और उम्र के कारण प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने की संभावना नहीं है, जिससे विवाद पैदा हो गया।

अयोध्या में संवाददाता सम्मेलन में आमंत्रित लोगों की विस्तृत सूची देते हुए ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा था, ‘दोनों परिवार के बुजुर्ग हैं और उनकी उम्र को देखते हुए उनसे न आने का अनुरोध किया गया था, जिसे दोनों ने स्वीकार कर लिया।’

हालांकि, राय के बयान के बाद विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष कुमार ने कहा था कि उन्होंने आडवाणी और जोशी को प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है।
 
‘आडवाणी राम जन्मभूमि आंदोलन के निर्माता’ 
कारसेवक रहे बाबरी मस्जिद विध्वंस के मुख्य आरोपियों में से एक संतोष दुबे ने कहा, ‘आडवाणी जी राम जन्मभूमि आंदोलन के निर्माता और वास्तुकार थे।

अगर वह 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में नहीं होते, तो बाबरी मस्जिद को ध्वस्त नहीं किया जाता और उस विध्वंस ने आज राम मंदिर के लिए मार्ग प्रशस्त कर दिया।’

अयोध्या के पंडित प्राणनाथ त्रिपाठी ने कहा, ‘आडवाणी जी को इतने लंबे समय के बाद देखना अयोध्या का सौभाग्य होगा। आखिरी बार आडवाणी ने वर्ष 2005 में अयोध्या का दौरा किया था। 18 वर्षों के बाद वह मंदिर शहर में आ रहे हैं। वह निश्चित रूप से अयोध्या के निवासियों के लिए अच्छी किस्मत लेकर आएंगे।’ 

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