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एक गुजराती चाय ब्रेक पर भी बिजनेस कर लेता है, चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने सुनाई मजेदार कहावत… – vishvasamachar

एक गुजराती चाय ब्रेक पर भी बिजनेस कर लेता है, चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने सुनाई मजेदार कहावत…

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को एक जिला अदालत भवन का उद्घाटन किया।

इस दौरान उन्होंने कहा कि यहां के लोग समय के साथ बदलावों को अपनाते हुए अपनी सांस्कृतिक विरासत से जुड़े हुए हैं।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “सपनों की बात करते हुए मुझे एक मजेदार कहावत याद आती है जो गुजरात की भावना को दर्शाती है।

वे कहते हैं कि जब बाकी दुनिया नई तकनीकियों के पीछे दौड़ती है, एक गुजराती सबसे सरल चीजों को भी नया करने का एक तरीका ढूंढ लेगा। उदाहरण के लिए चाय ब्रेक को एक व्यापार रणनीति बैठक में बदलना सर्वोत्कृष्ट गुजराती ह्यूमर है।”

चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि न्यायपालिका में तकनीक का अनुकूलन न केवल आधुनिकीकरण से संबंधित है, बल्कि न्याय तक पहुंच को लोकतांत्रिक बनाने की दिशा में एक रणनीतिक कदम भी है।

उन्होंने प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए वकीलों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने यहां एक नए जिला न्यायालय भवन के उद्घाटन के अवसर पर एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि इन प्रगतियों का लाभ उठाने से अंतर पाटने एवं दक्षता बढ़ाने में मदद मिलेगी तथा यह सुनिश्चित होगा कि न्याय प्रदान करना भौगोलिक और तकनीकी बाधाओं के कारण बाधित न हो। उन्होंने कार्यक्रम स्थल से एआई-आधारित ‘‘टेक्स्ट-टू-स्पीच कॉल-आउट सिस्टम’’ का भी उद्घाटन किया।

जिला अदालतों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘ये अदालतें न्याय का अधिकार सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं और एक ऐसे समाज की कल्पना करने में हमारे संविधान के आदर्शों की आधारशिला हैं जहां प्रत्येक नागरिक को न्याय का अधिकार सुनिश्चित है।’’

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने अदालत परिसर में नवीनतम ऑडियो-वीडियो उपकरणों और प्रणालियों से सुसज्जित एक सम्मेलन कक्ष तथा एक प्रशिक्षण कक्ष के बारे में कहा, ‘‘यह उच्चतम न्यायालय के कक्षों में लागू हाइब्रिड और ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस सिस्टम और बदलते समय के अनुरूप है तथा त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रौद्योगिकियों का लाभ उठा रहा है।’’

उन्होंने प्रधान जिला न्यायाधीश से यह सुनिश्चित करने की भी अपील की कि वकीलों को प्रौद्योगिकी के उपयोग में प्रशिक्षित किया जाए और उन्हें उस पहलू में न्यायाधीशों से अलग नहीं किया जाना चाहिए।

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