Warning: include_once(/home/u140703092/domains/karmyoginews.com/public_html/wp-content/plugins/wp-super-cache/wp-cache-phase1.php): Failed to open stream: No such file or directory in /home/u459374497/domains/vishvasamachar.com/public_html/wp-content/advanced-cache.php on line 22

Warning: include_once(): Failed opening '/home/u140703092/domains/karmyoginews.com/public_html/wp-content/plugins/wp-super-cache/wp-cache-phase1.php' for inclusion (include_path='.:/opt/alt/php82/usr/share/pear:/opt/alt/php82/usr/share/php:/usr/share/pear:/usr/share/php') in /home/u459374497/domains/vishvasamachar.com/public_html/wp-content/advanced-cache.php on line 22
सर्दियों में भी धधक रहे उत्तराखंड के जंगल, 2 महीने में 1000 से ज्यादा फॉरेस्ट फायर; एक्सपर्ट ने बताई वजह… – vishvasamachar

सर्दियों में भी धधक रहे उत्तराखंड के जंगल, 2 महीने में 1000 से ज्यादा फॉरेस्ट फायर; एक्सपर्ट ने बताई वजह…

उत्तराखंड में सर्दियों में भी जंगल धधकने लगे हैं।

नवंबर से अब तक करीब दो माह में एक हजार से ज्यादा फॉरेस्ट फायर की घटनाएं दर्ज की गई हैं।  बारिश और बर्फबारी कम होना मुख्य कारण बताया जा रहा है। फारेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (एफएसआई) ने अब तक 1006 फायर अलर्ट जारी किए हैं।

इनमें करीब सौ हेक्टेयर से ज्यादा जंगल जलने का अनुमान है। हालांकि वन विभाग अभी आग की घटनाओं और उनसे हुए नुकसान का डाटा एकत्र नहीं कर पाया है। यूं तो राज्य में 15 फरवरी से फायर सीजन शुरू होता है।

क्योंकि उस वक्त से गर्मी बढ़ने लगती है और जंगलों में सूखी पत्तियां काफी गिर जाती हैं। ऐसे में आग लगने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। लेकिन इस बार सर्दियों में ही आग की घटनाएं शुरू हो गईं हैं। जिसे लेकर फॉरेस्ट सर्वे आफ इंडिया ने वन विभाग को अलर्ट भेजने शुरू कर दिए हैं।

एफएसआई ने एक नवंबर से अब तक फॉरेस्ट फायर के एक हजार से ज्यादा अलर्ट वन विभाग को भेजे हैं। यानी एफएसआई के सेटेलाइट ने रिजर्व फॉरेस्ट, सिविल सोयम और वन पंचायत के जंगलों में आग की इतनी घटनाएं दर्ज की हैं।

पिछले साल से करीब दोगुनी हुई घटनाएं 
एफएसआई के आंकड़ों के अनुसार पिछले साल इस वक्त के दौरान करीब 502 घटनाएं सामने आईं थी। जिनका अलर्ट वन विभाग को भेजा गया था। जबकि इस बार घटनाएं लगभग दोगुनी हो गई हैं। जिससे वन विभाग के अधिकारी भी चिंतित हैं। वन मुख्यालय ने सभी डीएफओ को अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं।

ये हैं मुख्य कारण
विशेषज्ञों की मानें तो इस बार अब तक बर्फबारी और बारिश ना होना आग का सबसे बड़ा कारण है। बारिश व बर्फबारी ना होने के चलते जंगलों में नमी खत्म हो गई है। जबकि दोपहर में काफी तेज धूप हो रही है। जिस कारण जंगलों में पड़ी पत्तियां भी काफी सूख चुकी हैं।

जिससें आग ज्यादा लग रही है। साथ ही लोग जंगलों के किनारे कूड़ा व फसल के बचे हुए हिस्सों को भी जलाते हैं। वहीं, सूखी पत्तियों को जलाने के लिए कंट्रोल बर्निंग व फायर लाइन बनाने के लिए भी आग लगाई जाती है।

ग्लेशियर और पर्यावरण पर पड़ रहा बुरा असर
फॉरेस्ट फायर से प्रदेश में वन संपदा व वन्यजीवों को भले ही सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा हो। लेकिन इसका सीधा असर ग्लेशियर और पर्यावरण पर भी पड़ रहा है। पिछले कुछ सालों में विभिन्न संस्थानों की ओर से की गई स्टडी में सामने आया है कि ज्यादा फॉरेस्ट फायर से ग्लेशियरों में काला धुआं जम रहा है। जबकि पर्यावरण में प्रदूषण की मात्रा भी काफी बढ़ रही है।

इन क्षेत्रों में हुईं प्रमुख घटनाएं
नैनीताल 4
बागेश्वर 4
अल्मोड़ा 8
पिथौरागढ़ 2
त्यूणी 2
टिहरी 2

आग की घटनाओं के अब तक एक हजार से ज्यादा अलर्ट एफएसआई दे चुका है। जिनका वन विभाग मौके पर जाकर भौतिक सत्यापन करता है। सभी डीएफओ से सत्यापन की रिपोर्ट और आग से हुए नुकसान का डाटा मांगा गया है। जहां तक आग की बात है तो सभी जगह कंट्रोल बर्निंग और फायरलाइन के लिए भी आग लगाई जा रही है। “निशांत वर्मा, सीसीएफ, फॉरेस्ट फायर”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

nagatop

nagatop

kingbet188