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हूती विद्रोहियों ने इजरायल पर क्यों बोला हमला, क्यों लपेटे में आ रहा सऊदी अरब?… – vishvasamachar

हूती विद्रोहियों ने इजरायल पर क्यों बोला हमला, क्यों लपेटे में आ रहा सऊदी अरब?…

यमन के हूती विद्रोहियों ने इजरायल-हमास जंग में एंट्री लेते हुए मंगलवार (31 अक्टूबर) को इजरायल पर ताबड़तोड़ ड्रोन और मिसाइलें दागीं।

रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, हूती सैन्य प्रवक्ता याह्या सारी ने एक टेलीविज़न बयान में कहा है कि फिलिस्तीनियों को जीत में मदद करने के लिए इजरायल पर ऐसे और हमले होंगे।

इजरायल की सीमा से 2000 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हूती विद्रोहियों के ठिकाने वास्तविक रूप से खतरा तो पैदा नहीं कर सकते लेकिन उनके हमलों ने पूरे मिडिल-ईस्ट में खतरे की घंटी बजा दी है।

कौन हैं हूती विद्रोही?
हूती विद्रोही ज़ैदी शिया संप्रदाय से संबंधित एक बड़ा कबीला है, जिसकी जड़ें यमन के उत्तर-पश्चिमी सादा प्रांत में हैं।

हूती विद्रोह, जिसे आधिकारिक तौर पर अंसार अल्लाह (भगवान के समर्थक) कहा जाता है, 1990 के दशक में यमनी राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह की तानाशाही के खिलाफ शुरू हुआ था।

आज, हूती 2014 से यमन में चल रहे खूनी गृहयुद्ध में एक गुट है। ये लोग राजधानी सना सहित यमन के पश्चिम और उत्तर-पश्चिम में क्षेत्र को नियंत्रित करते हैं।

हूती विद्रोहियों को ईरान से समर्थन प्राप्त है। ईरान उसे “प्रतिरोध की धुरी” कहता है। हूती विद्रोहियों का एक हिस्सा अनौपचारिक तौर पर इजरायल और पश्चिमी देशों का विरोधी है और उनके राजनीतिक एवं सैन्य गठबंधन का विरोध करता है।

हूती विद्रोही यमन में सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात द्वारा समर्थित सुन्नी समुदाय के नेतृत्व वाली अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त यमनी सरकार के खिलाफ लंबे समय से लड़ रहे हैं। अधिकांश विशेषज्ञ यमन में गृहयुद्ध को दुनिया की दो सबसे प्रमुख इस्लामी शक्तियों ईरान और सऊदी के बीच का एक छद्म युद्ध मानते हैं।

हूती विद्रोहियों ने क्यों किया इजराइल पर हमला?
हूती विद्रोहियों का ये हमला इजराइल और अमेरिका पर हो रहे प्रतिरोधी समूह के हमलों की श्रृंखला में नवीनतम है। एक तरफ ईरान समर्थित इराकी मिलिशिया इराक और सीरिया में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर गोलीबारी कर रहे हैं, जबकि दूसरी तरफ हिजबुल्लाह के लड़ाके लेबनानी-इजरायल सीमा पर इजरायली बलों के साथ गोलीबारी कर रहे हैं। हूती विद्रोहियों ने मंगलवार को हमला कर जंग में तीसरा मोर्चा खोल दिया है।

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ईरान की सरकारी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार ईरान के विदेश मंत्री होसैन अमीराबदोल्लाहियान ने मंगलवार को कहा, “यहूदी शासन के अपराधों और यहूदी शासन को अमेरिका के पूर्ण समर्थन के सामने प्रतिरोधी समूह चुप नहीं रहेंगे।”

हूती विद्रोही, जो 2000 के दशक की शुरुआत से ही इज़रायल और पश्चिमी देशों का विरोधी रहे हैं। उनका नारा रहा है-“ईश्वर सबसे महान है, अमेरिका को मौत, इज़रायल को मौत, यहूदियों को अभिशाप, इस्लाम की जीत” (अरबी में)।

दरअसल, सारी ने मध्य-पूर्व में अस्थिरता के लिए इजरायल को दोषी ठहराया है और कहा कि उसके “निरंतर अपराधों” से क्षेत्रीय संघर्ष बढ़ा है। उन्होंने कहा, “जब तक इजरायली आक्रामकता बंद नहीं हो जाती” तब तक हूती विद्रोही हमले करना जारी रखेंगे।

मिडिल-ईस्ट में क्यों बज रही खतरे की घंटी
हूती विद्रोहियों ने समय-समय पर हमले कर अपनी मिसाइल और ड्रोन क्षमताओं का न सिर्फ प्रदर्शन किया है बल्कि यह भी दिखाया है कि वह 2000 किलोमीटर दूर से ही कहीं भी निशाना साधने में सक्षम है। 2019 में  भी हूती विद्रोहियों ने सऊदी अरब के तेल प्रतिष्ठानों पर हमला किया था, तब सऊदी ने अस्थायी रूप से आधे से अधिक तेल उत्पादन में कटौती की थी। हालाँकि, ताजा हमले में इजरायली सेना ने हूती विद्रोहियों के मिसाइलों को हवा में ही ध्वस्त कर दिया है लेकिन जंग में एक नया मोर्चा खोलकर चुनौती बढ़ा दी है। 

हूती विद्रोहियों के हमले का वास्तविक खतरा इस तथ्य में निहित है कि इस तरह के हमले से अंततः मध्य पूर्व में संघर्ष की व्यापकता पूरे क्षेत्र में युद्ध का कारण बन सकता है। अब तक, गाजा पर इज़रायली हमलों की वजह से पड़ोसी मुस्लिम देशों ने कोई जवाबी हमला नहीं किया है लेकिन हूती विद्रोहियों के हमले ने सउदी अरब को चिंतित कर दिया है क्योंकि यमन से लॉन्च किए गए मिसाइल और ड्रोन का सीधा उड़ान पथ पश्चिमी सऊदी अरब के ऊपर से गुजरता है।

सऊदी अरब से क्या कनेक्शन?
मौजूदा वक्त में, सउदी अरब- जो खुद को इस्लामी दुनिया का नेता के रूप में देखता है – शायद यह नहीं चाहेगा कि  हमले के लिए हूती विद्रोहियों की निंदा कर अप्रत्यक्ष रूप से इज़रायल का समर्थन करता हुआ दिखे। साथ ही, वह धार्मिक और भू-राजनीतिक दृष्टि से सऊदी अरब के सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी, ईरान की छद्म शाखा, हूती विद्रोहियों का खुलकर पक्ष भी लेना नहीं चाहेगा। सऊदी विश्लेषक अजीज अल्घाशियान ने रॉयटर्स को बताया, “मुझे लगता है कि समस्या यह है कि यह युद्ध सऊदी अरब को ऐसी स्थिति में लाने की क्षमता रखता है, जहां वह अमेरिका, इजरायल और ईरान के बीच कोई भी एक पक्ष लेता नजर आएगा।”

अब तक, सऊदी अरब ने इजरायल के खिलाफ़ कड़े शब्दों में बयान देने के अलावा और कुछ नहीं किया है। हालाँकि, इससे चीजें और बिगड़ सकती हैं, ख़ासकर तब, जब इज़रायली सेना सऊदी हवाई क्षेत्र का उपयोग करके हूती विद्रोहियों के सना स्थित ठिकानों पर हमला करने का फैसला करती है। साफ है कि ऐसी सूरत में अगर सउदी अरब संघर्ष में प्रवेश करता है तो निश्चित रूप से यह संघर्ष मध्य पूर्व को संपूर्ण युद्ध में धकेल सकता है।

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