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मराठा कोटा के लिए भूख हड़ताल करने वाले ने लगाई फांसी, 13 महीने का है बच्चा… – vishvasamachar

मराठा कोटा के लिए भूख हड़ताल करने वाले ने लगाई फांसी, 13 महीने का है बच्चा…

मराठा आरक्षण को लेकर हो रहे भूख हड़ताल का हिस्सा रहे 26 साल के एक शख्स ने खुदकुशी कर ली है।

उसके परिवार में एक 13 महीने का बच्चा भी है। पुलिस ने खुदकुशी करने वाले शख्स की पहचान सुदर्शन देवराय के रूप में की है। देवराय ने नांदेड़ जिले की हिमायतनगर तहसील में रविवार आधी रात के बाद कथित तौर पर खुदकुशी कर ली।

मराठा समुदाय के कई सदस्यों ने दावा किया कि देवराय ने मरने से पहले एक नोट छोड़ा था जिसमें इस बात का जिक्र है कि वह मराठा आरक्षण के लिए अपनी जान दे रहा है। पुलिस देवराय के नोट की जांच कर रही है।

पुलिस के मुताबिक यह कदम उठाने के दौरान देवराय अपने परिवार के साथ हिमायतनगर के कामारी स्थित अपने घर पर था।

पुलिस ने कहा कि देवराय एक सीमांत किसान था, जो ऑफ-सीजन के दौरान कार ड्राइवर के रूप में काम किया करता था। वह जीविकोपार्जन के लिए अन्य छोटी नौकरियां किया करता था। 

टीओआई से बातचीत के दौरान पुलिस अधीक्षक श्रीकृष्ण कोकाटे ने कहा, “फांसी लगाकर आत्महत्या करने वाला व्यक्ति अपने परिवार के लिए एकमात्र कमाने वाला था।

उसके परिवार में लकवाग्रस्त पिता, बुजुर्ग मां, पत्नी और 13 महीने के लड़के सहित दो बच्चे हैं। हमे उसकी जेब से एक चिट मिली है और हम इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि कर रहे हैं।” 

हिमायतनगर पुलिस ने कहा कि घटना के बारे में पता चलने पर पुलिस मौके पर गई और देवराय के शव को हिमायतनगर ग्रामीण अस्पताल ले गई, जहां पहुंचने पर उसे मृत घोषित कर दिया गया। मौत की खबर फैलने के बाद सोमवार को तहसील के विभिन्न हिस्सों में बंद का असर देखा गया।

पुलिस ने बताया कि सड़क पर टायर जलाए गए और कुछ वाहन क्षतिग्रस्त हो गए। 

मराठी समुदाय के सदस्यों ने समुदाय को आरक्षण नहीं देने के लिए सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए पुलिस स्टेशन पर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने देवराय की मौत के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया।

समुदाय के लोगों ने देवराय के परिवार को 50 लाख रुपये का मुआवजा, परिजनों को सरकारी नौकरी और सरकारी योजना के तहत घर देने की मांग की।

आनन-फानन में जिला कलेक्टर अभिजीत राउत पुलिस स्टेशन पहुंचे और आंदोलनकारियों से बातचीत की।

राउत द्वारा उनकी सभी मांगों को लिखित रूप में सरकार तक पहुंचाने का आश्वासन देने के बाद ही आंदोलन समाप्त किया गया और अंतिम संस्कार किया गया।

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