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भारत-रूस के फैसले से मचा हाहाकार, 12 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंची चावल की कीमत… – vishvasamachar

भारत-रूस के फैसले से मचा हाहाकार, 12 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंची चावल की कीमत…

भारत और रूस के एक फैसले से पूरी दुनिया में हाहाकार मचा हुआ है।

संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के अनुसार, चावल और वनस्पति तेल जैसी खाद्य वस्तुओं की वैश्विक कीमतें महीनों में पहली बार बढ़ी हैं।

यही नहीं, चावल की कीमतें 12 साल के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं। यूएन एजेंसी के मुताबिक, यूक्रेन को दुनिया भर में अनाज भेजने की अनुमति देने वाले युद्धकालीन समझौते से रूस के बाहर निकलने और भारत द्वारा अपने कुछ चावल निर्यात को प्रतिबंधित करने जैसे कारण इस महंगाई के लिए जिम्मेदार हैं।

राइस प्राइस इंडेक्स बढ़ा

यूएन की फूड एजेंसी एफएओ (FAO) के मुताबिक जुलाई में राइस प्राइस इंडेक्स 2.8 फीसदी की तेजी के साथ करीब 12 साल के हाई पर पहुंच गया है।

इसमें पिछले साल जुलाई के मुकबले 20 परसेंट तेजी आई है और यह सितंबर 2011 के बाद उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। एफएओ फूड प्राइस इडेंक्स विश्व स्तर पर कारोबार वाली खाद्य वस्तुओं की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में मासिक परिवर्तन को ट्रैक करता है।

रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, एफएओ के सभी चावल प्राइस इंडेक्स की बात करें तो, जुलाई में यह पिछले महीने के 126.2 अंक के मुकाबले औसतन 129.7 अंक था।

एफएओ के अनुसार, जुलाई का स्कोर पिछले साल के 108.4 अंक से लगभग 19.7 प्रतिशत अधिक था और सितंबर 2011 के बाद से सबसे अधिक था।

एफएओ ने चेतावनी दी कि चावल की कीमतों का यह बढ़ता दबाव “दुनिया की आबादी के एक बड़े हिस्से के लिए पर्याप्त खाद्य सुरक्षा चिंताओं को बढ़ाता है, खासकर उन लोगों के लिए जो सबसे गरीब हैं और जो भोजन खरीदने के लिए अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा समर्पित करते हैं।”

भारत ने चावल एक्सपोर्ट पर लगाया बैन

चावल की कीमतों में बढ़ोत्तरी के पीछे भारत सरकार का एक फैसला मुख्य कारक है। भारत ने पिछले महीने गैर बासमती सफेद चावल के एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया था। देश से एक्सपोर्ट होने वाले कुल चावल में गैर बासमती सफेद चावल की हिस्सेदारी करीब 25 परसेंट है।

मजबूत मांग और भारत के बैन से चावल की कीमत बढ़ी है। भारत दुनिया में चावल का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है। ग्लोबल एक्सपोर्ट में भारत की 40 परसेंट हिस्सेदारी है। भारत सरकार ने आगामी त्योहारी सीजन के दौरान घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने और खुदरा कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए 20 जुलाई को गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।

ससे पहले 26 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत को गैर-बासमती चावल पर निर्यात प्रतिबंध हटाने के लिए प्रोत्साहित किया था।

एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे-ओलिवियर गौरींचस ने कहा कि इस प्रकार के प्रतिबंधों से दुनिया के बाकी हिस्सों में खाद्य कीमतों में अस्थिरता बढ़ने की संभावना है। प्रतिबंध के कारण अमेरिका से लेकर कनाडा और ऑस्ट्रेलिया तक कई देशों में चावल की खरीददारी के लिए अफरात-फरी मच गई थी। 

रूस के फैसले से भी बढ़ा संकट

भारत ने चावल एक्सपोर्ट पर बैन लगाने से पहले रूस ने काला सागर अनाज समझौता तोड़ दिया था। रूस ने यूक्रेन के बंदरगाहों से अनाज ले जाने वाले जहाजों को सुरक्षित रास्ता देने वाले डील से किनारा कर लिया था।

इससे जुलाई में खाने पीने की चीजों की कीमत में बढ़ोतरी हुई। एफएओ के मुताबिक जून की तुलना में जुलाई में फूड प्राइस इंडेक्स में 1.3 परसेंट की तेजी आई।

हालांकि यह पिछले साल जुलाई की तुलना में 12 परसेंट कम है लेकिन रूस के फैसले ने अनाज और सनफ्लावर ऑयल की कीमतों में उछाल ला दी है। वेजिटेबल ऑयल की कीमत में 12 परसेंट तेजी आई है। दुनिया में सनफ्लावर ऑयल के एक्सपोर्ट में यूक्रेन की 46 परसेंट हिस्सेदारी है। पाम और सोयाबीन ऑयल के उत्पादन में कमी की आशंका से भी कीमतें बढ़ी हैं।

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