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NATO में स्वीडन के शामिल होने पर तुर्की ना पाले समर्थन की उम्मीद, राष्ट्रपति एर्दोगन ने रखी सपोर्ट करने की शर्त… – vishvasamachar

NATO में स्वीडन के शामिल होने पर तुर्की ना पाले समर्थन की उम्मीद, राष्ट्रपति एर्दोगन ने रखी सपोर्ट करने की शर्त…

तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन ने बुधवार को कहा कि अगले महीने पश्चिमी गठबंधन के शिखर सम्मेलन में स्वीडन को अपनी नाटो की सदस्यता पर तुर्के से समर्थन की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।

राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन ने साफ तौर पर कहा कि जब तक स्वीडन स्टॉकहोम में तुर्की विरोधी प्रदर्शनों को नहीं रोकता, तब तक अंकारा से रुख में बदलाव की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए।

तुर्की राष्ट्रपति एर्दोगन ने मंगलवार को अजरबैजान से एक फ्लाइट में पत्रकारों से बातचीत में कहा, जब तक आतंकी स्टॉकहोम में विरोध-प्रदर्शन करते रहेंगे, तब तक तुर्की स्वीडन की नाटो में शामिल होने की बात को स्वीकार नहीं कर सकता।

उन्होंने कहा कि बुधवार को अंकारा में स्वीडिश अधिकारियों के साथ बातचीत में तुर्की की स्थिति एक बार फिर स्पष्ट हो जाएगी।

एर्दोगन का यह बयान तुर्की, स्वीडन, फ़िनलैंड और नाटो के अधिकारियों के बुधवार को अंकारा में उस मुलाकात से पहले आई, जिसमें तुर्की की उन आपत्तियों को दूर करने की कोशिश करने के लिए बातचीत की गई, जिसमें तुर्की ने स्वीडन को नाटो सदस्यता देने पर आपत्ति जताई है। हालांकि, नाटो की सदस्यता को लेकर तुर्की और स्वीडन ने बातचीत जारी रखने का फैसला किया है।

बता दें कि तुर्की-स्वीडिश तनाव हाल ही में पिछले महीने तब और तल्ख हो गए थे, जब स्टॉकहोम में तुर्की-विरोधी और नाटो-विरोधी विरोध-प्रदर्शन हुए थे और तुर्की के साथ-साथ यूरोपीय संघ में भी ग़ैरक़ानूनी घोषित कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (पीकेके) उग्रवादी समूह का झंडा संसद भवन पर लहराया गया था।

समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, स्वीडन और फिनलैंड ने पिछले साल नाटो में शामिल होने के लिए आवेदन किया था, लेकिन तुर्की से इस आधार पर आपत्ति जताता रहा है कि दोनों देश प्रतिबंधित कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी और गुलेन आंदोलन के सदस्यों को शरण देते हैं।

स्वीडन के हाल के कानूनी परिवर्तनों पर टिप्पणी करते हुए एर्दोगन ने कहा, “यह केवल कानून संशोधन या संवैधानिक परिवर्तन का मामला नहीं है। पुलिस का काम क्या है? … उन्हें इन (विरोधों) को रोकना चाहिए”।

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