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बेमौसम बारिश का गेहूं की फसल पर बुरा असर नहीं! पिछले साल से अधिक रहेगा उत्पादन, खाद्यान्न की नहीं होगी कमी… – vishvasamachar

बेमौसम बारिश का गेहूं की फसल पर बुरा असर नहीं! पिछले साल से अधिक रहेगा उत्पादन, खाद्यान्न की नहीं होगी कमी…

बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि किसानों के साथ सरकार के लिए भी चिंता का विषय बनी हुई है।

हालांकि, राहत की बात यह है कि इसने गेहूं की फसल को ज्यादा प्रभावित नहीं किया है। फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के अधिकारियों की मानें तो पिछले साल के मुकाबले इस साल गेहूं का उत्पादन ज्यादा होगा।

द टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में एक एफसीआई अधिकारी के हवाले से कहा गया, ‘इस साल गेहूं का उत्पादन बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण अनुमान से 1-2 मिलियन टन कम रहने की संभावना है।

हालांकि, यह पिछले साल के मुकाबले इस साल अधिक रहेगा। इस साल कुल गूहूं उत्पादन पिछले साल से लगभग 5-6 मीट्रिक टन अधिक होगा। अभी गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध भी लागू है, इसलिए देश में खाद्यान्न की कोई कमी नहीं होगी।’

सरकार ने अनुमान लगाया है कि इस वर्ष लगभग 112 मीट्रिक टन गेहूं का उत्पादन होगा। रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा कमीशन और एग्रीवॉच द्वारा किए गए एक अध्ययन में हाल ही में बेमौसम बारिश के हिसाब से कुल उपज 103 मीट्रिक टन होने का अनुमान लगाया गया है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक एग्रीवॉच में डायरेक्टर कंसल्टिंग और जीआईएस सर्विस नलिन रावल ने कहा कि इस साल उत्पादन पिछले साल (97।7 एमटी) से ज्यादा होगा और रकबा भी बढ़ा है।

उन्होंने कहा, हालांकि उम्मीद थी कि इस बार गेहूं उत्पादन 104 मीट्रिक टन से अधिक होगी, लेकिन प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के हालिया दौर के प्रभाव का सर्वेक्षण करने के बाद अनुमान में बदलाव करना पड़ा है।

पिछले साल के मुकाबले इस साल अधिक होगा गेहूं का उत्पादन
अध्ययन के विमोचन में भाग लेते हुए, खाद्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव, सुबोध कुमार सिंह ने कहा, “हालांकि ये अनुमान सरकार के अनुमानों से अलग हैं, दोनों में दो रुझान आम हैं।

रकबे में वृद्धि हुई है और इस वर्ष 5-5।5 मीट्रिक टन अतिरिक्त गेहूं होगा।” सिंह ने कहा कि गेहूं के निर्यात पर जारी प्रतिबंध के साथ, उन्हें भरोसा है कि सरकार वैधानिक आवश्यकता को पूरा करने के लिए सर्दियों की फसल की पर्याप्त खरीद करेगी और इस आवश्यक वस्तु की कीमतों में बढ़ोतरी के मामले में बाजार के हस्तक्षेप के लिए अधिशेष स्टॉक होगा। 

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रूस यूक्रेन युद्ध और अन्य वैश्विक कारणों की वजह से दुनियाभर में खाद्यान्न, खासकर गेहूं का संकट गहराने पर भारत सरकार ने इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, ताकि पहले घरेलू जरूरतों को पूरा किया जा सके।

देश में नहीं होगी गेहूं की कमी 
इस कार्यक्रम में बोलते हुए, भारतीय खाद्य निगम के सीएमडी अशोक के मीणा ने कहा कि उन्होंने पिछले साल की इसी अवधि के बमुश्किल 2 लाख टन की तुलना में अब तक लगभग 7 लाख टन गेहूं की खरीद की है।

सरकार ने एमएसपी पर किसानों से 34।2 मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा, ‘यह हम सभी के लिए महत्वपूर्ण है – सरकार और निजी क्षेत्र – यह सुनिश्चित करने के लिए कि मिलकर काम करें कि वैश्विक प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद गेहूं और आटे की कीमतें स्थिर रहें।

उच्च उत्पादन अनुमानों के लिए भी हमारे पास समर्थन है।’ सरकारी अधिकारियों ने कहा कि हाल ही में हुई बारिश की वजह से चमक कम होने की समस्या है, जिसे सरकार दूर कर रही है। उन्होंने कहा कि हालांकि यह उनकी व्यापारिकता को प्रभावित करता है, इसमें कोई कमी नहीं है।

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