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जिस जमान पार्क में रहते हैं इमरान खान, कभी था हिंदुओं का ठिकाना; कैसे बसा पठानों का कुनबा?… – vishvasamachar

जिस जमान पार्क में रहते हैं इमरान खान, कभी था हिंदुओं का ठिकाना; कैसे बसा पठानों का कुनबा?…

लाहौर का जमान पार्क इन दिनों काफी सुर्खियों में है।

यह वही जगह है जहां पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान रहते हैं।

इमरान खान पाकिस्तानी कानून और अदालत के बीच गतिरोध के कारण चर्चा में हैं। इमरान खान को गिरफ्तार करने पहुंची पुलिस और पीटीआई के समर्थकों के बीच हुए हंगामें की वजह से जमान पार्क में अशांति थी, नहीं तो लाहौर का जमान पार्क सबसे समृद्ध, शांत और सुखद रहायशी इलाके में से है।   

लाहौर के जमान पार्क का ताल्लुक भारत के पंजाब से भी है। यहां रहने वाले ऐसे पठान हैं जिनकी जड़े भारत के पंजाब के जालंधर से हैं। जमान का ताल्लुक क्रिकेट और हॉकी के कई जाने माने खिलाड़ियों से भी है।

इसके अलावा सेना से जुड़ी सख्सियतों का भी जामान पार्क से नाता रहा है। इमरान खान के चाचा और चचेरे भाई यहीं रहते हैं जो पाकिस्तानी सेना में है।

रिहायशी इलाकों में सबसे पॉश माने जाने वाले जमान पार्क में इमरान खान के रिश्तेदार भी रहते हैं जो, डॉक्टर, ब्यूरोक्रेट और क्रिकेटर भी हैं। ऐसा बताया जाता है कि इस जगह 45 फर्स्ट क्लास क्रिकेटर्स भी रहते हैं।

कैसे नाम पड़ा जमान पार्क

इतिहास के पन्नों को पलटे तो पाएंगे कि 1799 में महाराजा रणजीत सिंह के सत्ता में आने से पहले लाहौर पर शासन करने वाले तीन सिखों में से एक सोबा सिंह की सेना के लिए सिख शासन के तहत ‘जमान पार्क’ एक महत्वपूर्ण छावनी थी।

ब्रिटिश शासन के दौरान इस पर लाहौर, अमृतसर और पंजाब में संकट की स्थिति में सुरक्षा की जिम्‍मेदारी थी। सन 1936 में इस जगह का नाम बदलकर नाम सुंदर दास पार्क कर दिया गया।

पहले इसे ‘सूरी फैमिली’ से ताल्लुक रखने वाले सुंदर लाल सूरी के नाम से जाना जाता था। राय बहादुर सुंदर दास सूरी, लाल लाजपत राय के करीबी थे।

बाद में इसका नाम बदल कर जमान पार्क रख दिया गया। जमान पार्क का नाम खान बहादुर मुहम्मद जमान खान के नाम पर रखा गया है।

उन्होंने 1933 से 1943 तक ब्रिटिश भारत में पंजाब के पोस्ट मास्टर जनरल का पद संभाला और उसके बाद 1940 में वहां सात-बेडरूम की हवेली का निर्माण किया।

विभाजन के वक्त थे सुंदर महल

1947 के विभाजन के समय तक, लाहौर के धनी हिंदू परिवारों ने जमान पार्क में 15 शानदार महल घरों का निर्माण किया था। लेफ्टिनेंट जनरल वाजिद अली बुर्की ने 1947 के बाद कुलीन जालंधर पठानों को यहां ट्रांसफर कर दिया। ये परिवार, जो मूल रूप से वजीरिस्तान के थे, बाद के मुगल काल में जालंधर चले गए, और लाहौर में बस गए। 

अब रहता पठानों का कुनबा

इकबाल बानो, नईमा खानम, और शौकत खानम, जावेद बुर्की, माजिद खान और इमरान खान की मां, खान बहादुर जमान खान की बहनें थीं। वे सभी अहमद हसन खान की संताने थे, जिनकी एक और संतान लेफ्टिनेंट-जनरल अहमद रजा खान ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेला करते थे।

जमान खान के बेटे, हुमायू जमान, जावेद जमान और फवाद जमान ने चचेरे भाई इजाज खान और साजिद खान के साथ फर्स्ट क्लास क्रिकेट भी खेला।  

इसके बाद के सालों में, जावेद बुर्की, माजिद और इमरान ने पाकिस्तान क्रिकेट टीम को लीड किया। लेफ्टिनेंट जनरल वाजिद अली बुर्की, एक आर्मी सर्जन ने जनरल अयूब खान की सैन्य सरकार के स्वास्थ्य मंत्री के रूप में भी काम किया। 

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