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तुर्की-सीरिया भूकंप से मरने वालों की संख्या 21 हजार के पार,WHO महासचिव टेड्रोस सीरिया रवाना – vishvasamachar

तुर्की-सीरिया भूकंप से मरने वालों की संख्या 21 हजार के पार,WHO महासचिव टेड्रोस सीरिया रवाना

अंकारा

तुर्की और सीरिया में आए विनाशकारी भूकंप से अब तक 21000 लोगों की मौत हो चुकी है। मलबे के ​नीचे बड़ी संख्या में लोगों के दबे हुए शव निकाले जा रहे हैं। इसी बीच भारत ने सबसे पहले तुर्की को मदद के लिए ‘ऑपरेशन दोस्त’ के तहत मदद पहुंचाई है। इन सबके बीच WHO के महानिदेशक टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस सीरिया के लिए रवाना हुए हैं। इसी बीच उन्होंने कहा कि ‘सीरिया में विनाशकारी भूकंप के बाद WHO प्रभावित इलाकों में हरसंभव मदद कर रहा है।

राहत और बचाव के लिए विश्व बैंक देगा 1.78 अरब डॉलर

विश्व बैंक ने तुर्की और सीरिया में आए विनाशकारी भूकंप के बाद राहत और बहाली के प्रयासों में मदद के लिए प्रारंभिक सहायता के बतौर 1.78 अरब डॉलर की घोषणा की है।

मुस्तैदी से काम कर रहे भारतीय सेना के जवान, डॉक्टर्स और NDRF की टीम

उधर, भारत ने ऑपरेशन दोस्त के तहत भूकंप के तुरंत बाद से ही मदद पहुंचा दी थी। तुर्की के प्रभावित इलाकों में मलबे के ढेर से जिंद​गियों को बचाने के लिए इंडियन आर्मी के जवान और NDRF की टीम पूरी मुस्तैदी के साथ मोर्चा संभाले हुए है। हमारे देश के चिकित्सकों का दल और भारतीय डॉग स्क्वॉड के साथ ही अत्याधुनिक उपकरणों के माध्यम से भारत की ओर से रेस्क्यू आपरेशन को अंजाम दिया जा रहा है।

‘फील्ड अस्पताल’ में प्रभावित घायलों का किया जा रहा इलाज

तुर्की और सीरिया में आए विनाशकारी भूकंप में भारत तुर्की का सबसे बड़ा मददगार बना है। सेना के कई विमान और भारी मात्रा में दवाएं, राहत सामग्री व चिकित्सक और राहत दल पहले दिन से ही तुर्की में मानवता की मदद कर रहे हैं। आपरेशन दोस्त के तहत फील्ड अस्पताल की शुरुआत कर दी है, जिसमें मलबे से निकाले गए घायलों का समुचित इलाज किया जा रहा है। फील्ड अस्पताल में आपातकालीन चिकित्सा और ऑपरेशन दोनों की 24 घंटे सुविधाएं हैं। सेना ने बताया कि अस्पताल ने काम करना भी शुरू कर दिया है। इसमें सर्जरी और आपातकालीन वार्ड हैं।

7.8 तीव्रता का आया था भूकंप

बता दें कि तुर्की और सीरिया में सोमवार को 7.8 तीव्रता का शक्तिकाली भूकंप आया था। सुबह आए इस विनाशकारी भूकंप की भयावह तस्वीरें और लोगों के मरने का आंकड़ा दिन चढ़ने के साथ ही बढ़ता जा रहा था। अब तक मरने वालों का आंकड़ा 21 हजार पहुंच चुका है। कई चश्मदीदों ने बताया कि उनके घर के सामने कई इमारतें उन्होंने भरभराकर गिरते देखीं।

पीछे छूटी फुकुशिमा त्रासदी

तुर्की और सीरिया में विनाशकारी भूकंप के कारण जान गंवाने वालों की संख्या बढ़कर 19,300 के पार हुई। यह संख्या जापान के फुकुशिमा में हुई त्रासदी के दौरान मरने वालों की संख्या से भी अधिक है। बता दें कि जापान में 11 मार्च 2011 को आए भूकंप के बाद उठी विनाशकारी सुनामी लहरों की चपेट में फुकुशिमा परमाणु ऊर्जा संयंत्र आ गया था। 11 मार्च 2011 को जापान के उत्तर-पूर्वी तट पर 9.0 तीव्रता का भूकंप आया था। इसके कुछ देर बाद भूकंप के चलते वहां 15 मीटर उंची सुनामी आई थी।

भूकंप के दौरान फुकुशिमा परमाणु संयंत्र का बैक-अप सिस्टम तो बच गया था लेकिन सुनामी में उसे बहुत नुकसान हुआ। कुछ दिनों बाद उसका कूलिंग सिस्टम विफल हो गया और इससे रिएक्टरों के पिघलने से कई टन रेडियोएक्टिव सामग्री बाहर आ गई। फुकुशिमा की यह घटना 1986 में चेरनोबिल में हुई दुर्घटना के बाद दूसरा सबसे भयानक दुर्घटना थी। भूकंप और सुनामी में करीब 18,500 लोग मारे गए या गायब हो गए। इस दौरान वहां के 1,60,000 से भी ज्यादा लोग अपने घरों से पलायन को मजबूर हो गए।

कड़ाके की सर्दी से कई लोगों की मौत, डर के साये में जी रहे हैं मेरे देश के लोग: तुर्की के नागरिक

तुर्की में आए 7.8 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप और उसके बाद महसूस किये गये झटकों में काफी संख्या में इमारतें ताश के पत्तों की तरह भरभरा कर ढह गईं, जिसके चलते हजारों लोग बेघर हो गये। साथ ही, कड़ाके की सर्दी के कारण कई लोगों की मौत हो गयी है। वास्तुशिल्प इतिहास की विद्वान कुबरा हैलिसी ने इस्तांबुल से यह जानकारी दी। तुर्की की इस नागरिक ने बताया, ‘‘हालांकि, हमलोग भूकंप के केंद्र से बहुत दूर रह रहे हैं, लेकिन हमने भूकंप के बाद आये शक्तिशाली झटकों को महसूस किया है।’’

सोशल मीडिया के माध्यम से पीटीआई-भाषा ने हैलिसी से संपर्क किया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं और मेरे परिवार के लोग सुरक्षित हैं लेकिन मेरे देश के टुकड़े हो गये हैं।’’ हैलिसी ने कहा, ‘‘भूकंप के कारण दस प्रांत प्रभावित हुये हैं और हम लोग स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में केवल मौत और विनाश के दृश्य देख रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इमारतें ताश के पत्तों की तरह भरभरा कर ढह गईं। मलबे में दबे कुछ लोगों की मौत हाड़ कंपाने वाली सर्दी के कारण हो गयी। यहां तक कि ऐसे कई लोग, जो इस आपदा में बेघर हो गए थे, कड़ाके की सर्दी के कारण उनकी मौत हो गयी।’’

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