क्लस्टर, ब्लॉक, जिला, संभाग और राज्य स्तर की स्पर्धाओं में प्रथम तीन विजेताओं को दी जाएगी नगद पुरूस्कार राशि।
मुख्यमंत्री ने किया राज्य स्तरीय स्पर्धाओं का आगाज।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ के पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देने के लिए हर साल छत्तीसगढ़िया ओलम्पिक का आयोजन सितम्बर-अक्टूबर माह में किया जाएगा।
मुख्यमंत्री आज राजधानी रायपुर के बलवीर सिंह जुनेजा स्टेडियम में छत्तीसगढ़िया ओलम्पिक की राज्य स्तरीय स्पर्धाओं के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़िया ओलम्पिक की क्लस्टर, ब्लॉक, जिला, संभाग और राज्य स्तर की स्पर्धाओं में प्रथम, द्वितीय और तीसरे स्थान पर आने वाले प्रतिभागियों को पुरुस्कार राशि प्रदान करने की घोषणा की।
मुख्यमंत्री ने टॉस कर छत्तीसगढ़िया ओलंपिक की राज्य स्तरीय कबड्डी खेल की प्रतियोगिता की शुरुआत की।
उद्घाटन समारोह में खेल एवं युवा कल्याण मंत्री उमेश पटेल, खाद्य मंत्री अमरजीत भगत, छत्तीसगढ़ राज्य गृह निर्माण मंडल के अध्यक्ष कुलदीप जुनेजा, नगर निगम रायपुर के महापौर एजाज ढेबर, छत्तीसगढ़ राज्य पर्यटन मंडल के अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव और राज्य युवा आयोग के अध्यक्ष जितेन्द्र मुदलियार उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने स्टेडियम में मौजूद संभाग स्तरीय विजेता खिलाड़ियों को संबोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़िया परम्परा में बसी हमारी खेल विधाओं को संरक्षित करने और आगे बढ़ाने के लिए छत्तीसगढ़िया ओलंपिक की शुरुआत की गई है।
छत्तीसगढ़िया ओलंपिक को लेकर पूरे प्रदेश में लोगों में अभूतपूर्व उत्साह देखने को मिला। बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्गों, महिलाओं और युवाओं में इन खेलों में पूरे उत्साह के साथ हिस्सा लिया। गांव-गांव में खेलों के प्रति एक अच्छा वातावरण निर्मित हुआ।
महिलाओं ने भी इसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। शादी की बाद जो महिलाएं ससुराल चली गई थी, उनकी भी इन खेलों में बड़ी संख्या में भागीदारी रही।
मुख्यमंत्री ने बताया कि जांजगीर-चांपा जिले के मुलमुला गांव में आयोजित भेंट-मुलाकात कार्यक्रम के दौरान गेंड़ी लेकर आई एक 40 वर्षीय महिला ने बताया कि इस प्रतियोगिता की वह विजेता रही हैं।
महिला ने बड़े उत्साह के साथ बताया कि ससुराल आने के बाद खेलने का मौका नहीं मिलता था। आपने छत्तीसगढ़िया ओलंपिक की शुरूआत की इससे हम लोगों को खेलने का मौका मिला। इस प्रतियोगिता का आयोजन हर वर्ष होना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़िया ओलंपिक की शुरूआत 06 अक्टूबर को हुई थी। छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में राज्य स्तरीय स्पर्धा में सबसे छोटी 06 वर्ष की बालिका फुगड़ी में और 65 वर्षीय बुजुर्ग गेंड़ी दौड़ में खेल रहे हैं।
खेल एवं युवा कल्याण मंत्री उमेश पटेल ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर हमारे ग्रामीण इलाकों में प्रचलित खेल जो लुप्त हो रहे थे।
उनको प्रोत्साहित और बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़िया ओलंपिक की शुरूआत की गई। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में छत्तीसगढ़िया संस्कृति को बढ़ावा देने का काम किया जा रहा है।
तीज-त्यौहारों में छुट्टी की घोषणा के साथ पूरे प्रदेश में उत्साहपूर्वक आयोजन किया जा रहा है।
ग्रामीण क्षेत्रों में 25 लाख और नगरों में 1.30 लाख लोगों की रही भागीदारी
खेल एवं युवा कल्याण विभाग की अपर मुख्य सचिव श्रीमती रेणु जी पिल्ले ने बताया कि इस राज्य स्तरीय आयोजन में प्रदेश के सभी जिलों के लगभग 1900 प्रतिभागी शामिल हो रहे हैं।
ये स्पर्धाएं 10 जनवरी 2023 तक चलेगी। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में ग्रामीण क्षेत्रों के 25 लाख से ज्यादा और नगरीय क्षेत्रों में एक लाख 30 हजार से ज्यादा लोगों की भागीदारी रही।
उन्होंने बताया कि बलबीर सिंह जुनेजा इनडोर स्टेडियम में फुगड़ी, बिल्लस, भंवरा, बाटी और कबड्डी, छत्रपति शिवाजी महाराज आउटडोर स्टेडियम में संखली, रस्साकशी, लंगडी, पिट्ठुल, गेंडी दौड़, माधव राव सप्रे उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में खो-खो और गिल्ली डंडा और स्वामी विवेकानंद स्टेडियम कोटा में लंबी कूद और 100 मीटर दौड़ खेलों की प्रतिस्पर्धाएं आयोजित की जाएंगी।
14 पारंपरिक खेलों को किया गया है शामिल
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देेने के उद्देश्य के छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का आयोजन किया गया है। घरेलू महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग भी इस ओलंपिक में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं। छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में 14 खेलों को शामिल किया गया है।
इसके तहत दलीय खेल में गिल्ली डंडा, पिट्टुल, संखली, लंगड़ी दौड़, कबड्डी, खो-खो, रस्साकसी, बाटी (कंचा) और एकल खेल में बिल्लस, फुगड़ी, गेड़ी दौड़, भंवरा, 100 मी. दौड़ तथा लंबी कूद की प्रतिस्पर्धाएं शामिल हैं।
इस अवसर पर खेल एवं युवा कल्याण विभाग के सचिव नीलम नामदेव एक्का, संचालक श्रीमती श्वेता श्रीवास्तव सिन्हा सहित अनेक जनप्रतिनिधि, नागरिक, वरिष्ठ अधिकारी और खिलाड़ी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।