Warning: include_once(/home/u140703092/domains/karmyoginews.com/public_html/wp-content/plugins/wp-super-cache/wp-cache-phase1.php): Failed to open stream: No such file or directory in /home/u459374497/domains/vishvasamachar.com/public_html/wp-content/advanced-cache.php on line 22

Warning: include_once(): Failed opening '/home/u140703092/domains/karmyoginews.com/public_html/wp-content/plugins/wp-super-cache/wp-cache-phase1.php' for inclusion (include_path='.:/opt/alt/php82/usr/share/pear:/opt/alt/php82/usr/share/php:/usr/share/pear:/usr/share/php') in /home/u459374497/domains/vishvasamachar.com/public_html/wp-content/advanced-cache.php on line 22
थक जाओगे मूनगा के गुणों की विशेषता गिनते-गिनते, हर छत्तीसगढ़ी के दिल में बसता है इसके व्यंजनों का स्वाद … – vishvasamachar

थक जाओगे मूनगा के गुणों की विशेषता गिनते-गिनते, हर छत्तीसगढ़ी के दिल में बसता है इसके व्यंजनों का स्वाद …

थक जाओगे मूनगा के गुणों की विशेषता गिनते-गिनते, हर छत्तीसगढ़ी के दिल में बसता है इसके व्यंजनों का स्वाद …

रायपुर : लम्बी-लम्बी फलियों वाली एक सब्जी का पेड़ है जो भारत के साथ-साथ अन्य कई देशों में उगाया जाता है. विज्ञान ने भी माना और किया प्रमाणित कि इस पेड़ का हर अंग स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक लाभदायक है.

इस पेड़ की खासीयत यह है की इसका पेड़ कहीं भी आसानी से लग जाता है और मूनगा को बहुत अधिक पानी की जरूरत नहीं होती. इसके साथ ही यह काफी तेजी से बढ़ता है.

हम बाद कर रहे हैं, मूनगा भाजी के पेड़ की. जिसके बने व्यंजनों को छत्तीसगढ़ में स्वाद से खाया जाता है. इसे सहजन भी कहा जाता है. अग्रेंजी में मोरिंगा तथा ड्रमस्टिक ट्री कहते हैं. भारत में ज्यादातर लोग मूनगा की फली को सब्जी व अन्य प्रकार के भोजन के रुप में इस्तेमाल करते हैं.

मूनगा की पत्ती

इसकी पत्तियों में प्रोटीन विटामिन-बी 6, विटामिन सी, विटामिन ए, विटामिन ई, आयरन, मैग्नीशियम पोटेशियम, जिंक जैसे तत्व पाये जाते हैं. छत्तीसगढ़ की 36 भाजियों में मुनगा भाजी एक प्रसिद्ध व्यंजन है. हर दिन दाल में मुनगा भाजी मिलाएं और उसका सेवन करें तो एनिमिया से राहत मिल सकती है.

मूनगा की फली

इसकी फली में विटामिन ई होते हैं, यह प्रोटीन का भी अ’छा स्त्रोत है. यह प्रोटीन किसी भी प्रकार से मांसाहारी स्रोत से मिले प्रोटीन से कम नहीं है क्योंकि इसने सभी आवश्यक एमिनों एसिड पाए जाते है.

बीजों से होता पानी साफ

मूनगा पानी साफ करने में भी कारगार है, जिसका सर्दियों में प्रयोग होता है, इसके बीजों को कूटकर पानी में मिलाने से हानिकारक शैवाल और प्रदुषक तत्व अलग हो जाते हैं.

कई स्कीन रोगों में सहजन का उपयोग

बीजो का यह तेल एम्ने और ब्लैकहेड्स की समस्या में चेहरे पर लगायें. स्किन के लिये उपयोगी विटामिनों, एंटी ओक्सिडेंट गुणों से भरपूर यह तेल चेहरे की झुरियों और महीन लकीरें दूर करता है.

सहजन का तेल

सहजन का तेल सोरायसिस, एक्जिमा रोग में लगाने से लाभ होता है. यह ज्यादा दिनों तक रखने से उड़ जाता है इसलिए इसका प्रयोग समय के अनुसार किया जाता है. यह बेन आयल कभी खराब नहीं होती, यह अमुमन मिठी होती है और इसमें कोई खुशबू नहीं होती. अत: यह परफ्यूम बनाने में उपयोग किया जाता है.

सहजन के फूलों की चाय

फूलों में न्यूट्रीशनल गुणों से भरपूर है, यह चाय यूरिन इन्फैक्शन, सर्दी जुकाम ठीक रहती है, यह घाव जल्दी भरता है, दिमागी स्वास्थ्य के लिए सहजन लाजवाब है.

इन बीमारियों के लिए रामबाण

यह हाई ब्लड शुगर लेवल को कम करता है, कोलेस्ट्राल कम करने की वजह से यह हृदय के लिए अच्छा है. हदय रोग, डायबिटिज, जलन और सूजन से मूनगा राहत दिलाता है. यह स्कीन लीवर फेफड़े और गर्भाशय के कैंसर होने से सुरक्षा प्रदान करता है. किडनी स्टोन की समस्या दूर होती है.

दूध पिलाने वाली माताओं के लिए लाभकारी

सहजन की पत्ती में घी को गर्म करके प्रसूता स्त्री को दिए जाने का पुराना रिवाज है, इससे दूध की कमीं नहीं होती और जन्म के बाद भी कमजोरी व थकान आदि का भी निवारण होता है. बच्चों का स्वास्थ्य सही रहता है और वजन बढ़ता है. सहजन में पाएं जाने वाला पर्याप्त कैल्शियम किसी भी अन्य कैल्शियम सप्लीमेंट से कई गुना अ’छा है.

जानवरों के लिए चारा

यह जानवरों के लिए चारे के रूप में प्रयोग किया जाता है. दूध देने वाले जानवर अधिक दूध देते है और मांस के लिए पाये जाने वाले मवेशी खूब स्वस्थ रहते है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

nagatop

nagatop

kingbet188

slot gacor

SUKAWIN88