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हरियाणा में करौंथा कांड में 16 साल बाद आया फैसला, संत रामपाल और 24 अनुयायी बरी… – vishvasamachar

हरियाणा में करौंथा कांड में 16 साल बाद आया फैसला, संत रामपाल और 24 अनुयायी बरी…

हरियाणा के बहुचर्चित करौंथा कांड में सतलोक आश्रम के संचालक रामपाल दास को 16 साल साल बाद कोर्ट ने बरी कर दिया है।

रामपाल समेत उसके 24 अनुयायियों को भी इस केस में आरोप मुक्त किया गया है।

फिलहाल, रामपाल दास बरवाला आश्रम में हुई हिंसा के मामले में हिसार जेल में बंद हैं। रोहतक की करौंथा में रामपाल दास का सतलोक आश्रम है।

दरअसल, जुलाई 2006 में रामपाल दास के समर्थकों और ग्रामीणों के बीच में झड़प हो गई थी। इस दौरान जमकर हिंसा भी हुई।

ग्रामीणों के साथ आर्य समाजी भी रामपाल दास के खिलाफ खड़े हो गए थे। झज्जर की तरफ से डीघल गांव और रोहतक की तरफ से करौंथा गांव के लोगों ने रामपाल दास के आश्रम को घेर लिया था।

इस दौरान फायरिंग भी हुई, जिसमें सोनू नाम के एक किशोर की मौत हो गई, जबकि 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।

ग्रामीणों में रामपाल दास के खिलाफ गुस्सा बढ़ता गया, जिसके बाद हरियाणा सरकार ने भारी पुलिस बल भेजकर रामपाल दास के आश्रम को खाली कराया और उसे गिरफ्तार किया।

रामपाल दास और उसके समर्थकों पर हत्या और हत्या के प्रयास समेत दर्जनों धाराओं के तहत केस दर्ज किए गए।

तकरीबन डेढ़ साल तक रामपाल दास जेल में भी रहा। इसके बाद उसे मामले में जमानत मिल गई और उन्होंने करौंथा से अपने आश्रम को हिसार के बरवाला में शिफ्ट कर लिया।

रामपाल जब भी रोहतक कोर्ट में पेशी के लिए आते तो उनके समर्थक भारी संख्या में इकट्ठा हो जाते। इसके बाद हिसार कोर्ट से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उनकी पेशी होने लगी।

कुछ दिन बाद हिसार कोर्ट के बाहर भी उनके समर्थक जुटने शुरू हो गए। इसके बाद वकीलों और रामपाल समर्थकों में झगड़ा होने लगा और मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा। इसके बाद हाईकोर्ट ने रामपाल को पेश होने के आदेश दिए।

रामपाल ने कोर्ट की अवमानना की और हाईकोर्ट नहीं गए। जिसके बाद कोर्ट ने हरियाणा सरकार को आदेश दिए और रामपाल को गिरफ्तार कर पेश करने को कहा।

रामपाल बरवाला आश्रम से बाहर नहीं निकले, जिसे हरियाणा पुलिस ने जबरन बाहर निकाला और गिरफ्तार किया। इस दौरान भी रामपाल समर्थकों और पुलिस के बीच में हिंसक झड़प हुई, जिसमें कुछ लोगों की मौत हो गई थी। उसी मामले में फिलहाल रामपाल हिसार जेल में बंद है।

रामपाल के वकील अभिषेक चौधरी ने बताया कि 2006 में जो मुकदमा दर्ज किया गया था, उसमें पुलिस कोई सबूत पेश नहीं कर पाई।

सोनू नाम के जिस किशोर की मौत हुई थी, उसके भी कोई साक्ष्य नहीं हैं कि रामपाल या उसके समर्थकों की तरफ से चलाई गई गोली से उसकी मौत हुई हो।

इस केस में रामपाल दास समेत 24 आरोपियों को बरी किया गया है। दो अन्य को आर्म्स एक्ट के तहत दो-दो साल की सजा सुनाई गई है।

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