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Khategaon News : देवास जिले के ग्राम कानकुण्ड में कृषि विस्तार सुधार कार्यक्रम (आत्मा) अंतर्गत किसान संगोष्ठी का हुआ आयोजन – vishvasamachar

Khategaon News : देवास जिले के ग्राम कानकुण्ड में कृषि विस्तार सुधार कार्यक्रम (आत्मा) अंतर्गत किसान संगोष्ठी का हुआ आयोजन

अनिल उपाध्याय, खातेगांव.
Khategaon News : देवास जिले में कृषि विकासखण्ड देवास के ग्राम कानकुण्ड में कृषि विस्तार सुधार कार्यक्रम (आत्मा) अंतर्गत किसान संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें प्राकृतिक खेती पर किसानों को प्रशिक्षण दिया गया।

प्रशिक्षण में वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख कृषि विज्ञान केन्द्र देवास डॉ. ए.के. बड़ाया ने कृषकों को रबी फसलों में गेंहू एवं चने की उन्नत व अधिक उत्पादन देने वाली किस्मो से अवगत कराया। गेंहू एवं चने में होने वाले रोग एवं कीट प्रबंधन की जानकारी विस्तृत रूप से दी। परियोजना संचालक आत्मा श्रीमती नीलमसिंह चौहान ने कहा कि जीरो बजट प्राकृतिक खेती देशी गाय के गोबर और गोमूत्र पर आधारित है।

कृषि विज्ञान केन्द्र देवास वैज्ञानिक डॉ. महेन्द्र सिंह ने कृषकों को कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त करने की तकनीक पर जोर देते हुये कृषकों को बताया कि किसान स्वालम्बी बने एवं स्वयं का बीज, स्वयं का खाद, स्वयं का कीटनाशक तैयार करे जिससे बाजार की निर्भरता कम होगी। वैज्ञानिक डॉ. सविता कुमारी ने कृषको को गेंहू एवं चने की फसल के लिये आवश्‍यक पोषक तत्वों की जानकारी प्रदाय की एवं उपस्थित सभी कृषको को मिट्ठी का जॉच कराने की सलाह दी, साथ ही मिट्टी का नमूना लेने की विधि विस्तृत रूप से बताई।

कार्यक्रम में उप परियोजना संचालक आत्मा श्री एम.एल. सोलंकी ने आजादी का अमृत महोत्सव केम्पन अंतर्गत चतुर्थ फसल बीमा सप्ताह कार्यक्रम अंतर्गत प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की जानकारी दी। श्री दीपज्योति जैविक किसान संस्थान से उपस्थित श्री दीपक राव ने बताया की एक एकड़ में जीवामृत बनाने के लिये देशी गाय का गोबर 10 किलोग्राम, देशी गाय का गोबर 10 लीटर, गुड़ व बेसन 1-2 किलो एवं बरगद या पीपल के पेड़ के नीचे की मिट्ठी एक किलो ग्राम को 200 लीटर पानी में तैयार किया जाता है। 6 से 7 दिनों में जीवामृत तैयार हो जाता है। जीवामृत को डालने से मृदा में डालने से मृदा में जीवाणुओं की संख्या में वृद्धि होती है।

कार्यक्रम का संचालन श्री रोहित यादव विकासखण्ड तकनीकी प्रबंधंक देवास द्वारा किया गया। कार्यक्रम में आये हुए वैज्ञानिको/अधिकारियों तथा कृषकों का आभार श्री अंतिम वासुरे सहायक तकनीकी प्रबन्धक ने माना।

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