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मार्गशीर्ष मास की विनायक चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा इस दिन, जानें मुहूर्त और पूजा-विधि… – vishvasamachar

मार्गशीर्ष मास की विनायक चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा इस दिन, जानें मुहूर्त और पूजा-विधि…

प्रवीण नांगिया (ज्योतिष सलाहकार): भगवान गणेश को प्रथम पूज्य माना गया है। यही वजह है कि किसी भी शुभ कार्य में सबसे पहले इनकी पूजा की जाती है।

इसके अलावा हर महीने की चतुर्थी तिथि इनकी पूजा-अर्चना के लिए खास होती है। शास्त्रों के अनुसार, शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी कहा जाता है।

इस दिन विधि-पूर्वक गणपति की पूजा करने से जीवन बाधाओं के मुक्त रहता है।

हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष यानी अगहन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 27 नवंबर, रविवार को पड़ रही है।

ऐसे में जानते हैं कि मार्गशीर्ष यानी अगहन मास की विनायक चतुर्थी का व्रत कब रखा जाएगा और इसके लिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि क्या है।


अगहन विनायक चतुर्थी 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त

मार्गशीर्ष शुक्ल चतुर्थी तिथि आरंभ- 26 नबंबर, 2022 शाम 7 बजकर 28 मिनट

मार्गशीर्ष शुक्ल चतुर्थी तिथि समाप्त – 27 नवंबर 2022, शाम 04 बजकर 25 मिनट पर

अगहन विनायक चतुर्थी व्रत तिथि- 27 नवंबर 2022, रविवार

विनायक चतुर्थी 2022 पूजा मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार जो लोग 27 नवंबर को विनायक चतुर्थी का व्रत रखेंगे वे सुबह 11 बजकर 06 मिनट से दोपहर 1 बजकर 12 मिनट के बीच पूजन कर सकते हैं। इस शुभ मुहूर्त में गणपति की पूजा करना शुभ और मंगलकारी साबित होगा। 

विनायक चतुर्थी पूजा विधि

जो लोग विनायक चतुर्थी का व्रत रखते हैं वे इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान-शौच आदि कर्म से निवृत हो जाएं। इसके बाद स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करके सबसे पहले उगते हुए भगवान भास्कर को जल अर्पित करें। इस दिन भगवान सूर्य को जल देने के लिए तांबे के लोटे का इस्तेमाल करना उत्तम रहता है। विनायक चतुर्थी के दिन मंदिर में भगवान गणेश के निमित्त एक जटा वाला नारियल जरूर लेकर जाएं। इसके साथ ही गणपति को अर्पित करने के लिए मोदक भी ले जाएं। भगवान गणपति को दूर्वा और गुलाब से पुष्प अर्पित करें और ओम् गं गंणपतये नमः का कम से कम 108 बार जाप करें। भगवान को धूप, दीप भी अर्पित करें। पूजन के अंत में आरती जरूर करें। 

गणेश जी की आरती

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा

पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा

‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा    

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। वार्ता 24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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