Warning: include_once(/home/u140703092/domains/karmyoginews.com/public_html/wp-content/plugins/wp-super-cache/wp-cache-phase1.php): Failed to open stream: No such file or directory in /home/u459374497/domains/vishvasamachar.com/public_html/wp-content/advanced-cache.php on line 22

Warning: include_once(): Failed opening '/home/u140703092/domains/karmyoginews.com/public_html/wp-content/plugins/wp-super-cache/wp-cache-phase1.php' for inclusion (include_path='.:/opt/alt/php82/usr/share/pear:/opt/alt/php82/usr/share/php:/usr/share/pear:/usr/share/php') in /home/u459374497/domains/vishvasamachar.com/public_html/wp-content/advanced-cache.php on line 22
नए साल में पहली पौष मास की पूर्णिमा कब पड़ेगी, यहां जानिए तरीक, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि… – vishvasamachar

नए साल में पहली पौष मास की पूर्णिमा कब पड़ेगी, यहां जानिए तरीक, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि…

 प्रवीण नांगिया (ज्योतिष सलाहकार): पौष मास की पूर्णिमा का हिंदू धर्म में खास महत्व है। हर साल यह तिथि पौष मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को पड़ती है।

साल 2023 में पौष मास की पूर्णिमा 06 जनवरी, शुक्रवार को पड़ने वाली है। पूर्णिमा का दिन स्नान, दान और अनुष्ठान के लिए अत्यंत खास होता है।

मान्यता है कि इस दिन किए गए धार्मिक कार्य का फल कई गुणा अधिक प्राप्त होता है। इसके साथ ही मान्यता यह भी है कि इस दिन वाराणसी के दशाश्वमेध घाट और प्रयाग के त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान अत्यधिक शुभ होता है।

कहा जाता है कि इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से जन्म-मरण के बंधनों से मुक्ति मिल जाती है।

आइए जानते हैं साल 2023 की पहली पूर्णिमा कब पड़ रही है, शुभ मुहूर्त क्या है और इस दिन की पूजा विधि क्या है।

पौष पूर्णिमा 2023 तिथि और शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, साल 2023 की पौष पूर्णिमा 06 जनवरी, शुक्रवार को पड़ने वाली है। पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 06 जनवरी को तड़के 2 बजकर 14 मिनट से हो रही है।

वहीं पूर्णिमा तिथि की समाप्ति 7 जनवरी 2023 को सुबह 4 बजकर 37 मिनट पर होगी। ऐसे में उदया तिथि की मान्यता के अनुसार पौष मास की पूर्णिमा के निमित्त स्नान और दान 06 जनवरी को किया जाएगा।

पौष पूर्णिमा 2023 पूजा-विधि

हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार, पौष पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र नदी में स्नान करना शुभ होता है। अगर इस दिन गंगा स्नान का संयोग ना बन पाए तो नहाने वाले पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान किया जा सकता है।

पौष पूर्णिमा पर शुभ मुहूर्त में गंगा स्नान के बाद साथ-सुथरे वस्त्र धारण करें। इसके बाद सबसे पहले सूर्य देव को जल अर्पित करें।

सूर्य देव को जल चढ़ाते वक्त ओम् श्रीसवित्रि सूर्य नारायणाय नमः का जाप करें। सूर्य देवता को जल अर्पित करने के लिए उगते हुए सूर्य की ओर मुंह करके खड़े होकर जल में तिल मिलाकर उन्हें अर्पित करें।

इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करें, भगवान विष्णु की पूजा के दौरान उन्हें जल, अक्षत, तिल, रोली, चंदन, फूल, फल, पंचगव्य, सुपारी, दूर्वा इत्यादि पूजन सामग्री अर्पित करें। पूजा के अंत में भगवान विष्णु की आरती करें। 

पौष पूर्णिमा पर गंगा स्नान का महत्व

पौष पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों और तालाबों में विशेष रूप से गंगा नदी में स्नान करना अत्यंत पुण्यदायी होता है। यही वजह है कि भक्त इस दिन वाराणसी के दशाश्वमेध घाट और प्रयाग के त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान करके पुण्य के भागी बनते हैं।

मान्यता है कि इस दिन पवित्र स्नान के बाद दान करने से मनुष्य के सारे पाप कर्म नष्ट हो जाते हैं। इसके साथ ही इस दिन सूर्य देवता को जल अर्पित करने का भी खास विधान है।

माना जाता है कि जो कोई इस दिन गंगा स्नान के बाद उगते हुए सूर्य को जल अर्पित करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। वार्ता 24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

nagatop

nagatop

kingbet188