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अगहन का प्रथम गुरुवार : मां लक्ष्मी की कृपा पाने का खास दिन, विवाह में आ रही बाधाएं होंगी दूर….. – vishvasamachar

अगहन का प्रथम गुरुवार : मां लक्ष्मी की कृपा पाने का खास दिन, विवाह में आ रही बाधाएं होंगी दूर…..

अगहन का प्रथम गुरुवार : मां लक्ष्मी की कृपा पाने का खास दिन, विवाह में आ रही बाधाएं होंगी दूर

रायपुर :- अगहन मास 9 नवंबर को प्रारंभ हो गया है. हिन्दू पंचांग के अनुसार इसे मार्गशीर्ष मास भी कहा जाता है. अगहन मास के प्रथम गुरुवार की पूजा आज 10 नवंबर को होगी.

मार्गशीर्ष मास में पड़ने वाले वृहस्पतिवार को माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखा जाता है. व्रत पूजन करने वालों पर माता महालक्ष्मी की कृपा होती है. उन्हें धन-वैभव की कमी नहीं होती.

गुरुवार के दिन घरोंघर मां लक्ष्मी की पूजन होगा. हर घर में मां लक्ष्मी की स्थापना कर विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाएगी. हर घर के द्वार पर दीपों से रोशनी की जाएगी. अगहन मास में गुरुवार को लक्ष्मी जी की व्रत पूजा से सुख, संपत्ति और ऐश्वर्य प्राप्ति के साथ मन की इच्छा पूरी होती है.

शाम से तैयारी शुरू

बुधवार शाम से लेकर गुरुवार की शाम तक गुरुवारी पूजा की धूम रहती है. हर घर के मुख्य द्वार से लेकर आंगन और पूजा स्थल तक चावल आटे के घोल से आकर्षक आकृतियां बनाई जाएंगी.

इन आकृतियों में माता लक्ष्मी के पांव विशेष रूप से बनाए जाते हैं. संध्या होते ही माता लक्ष्मी के सिंहासन को आम, आंवला और धान की बालियों से सजाया जाता और कलश की स्थापना कर माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है.

पति-पत्नी साथ करें उपवास

पदमपुराण में यह व्रत गृहस्तजनों के लिए बताया गया है. इस पूजा को पति-पत्नी मिलकर कर सकते हैं. अगर किसी कारण पूजा में बाधा आए तो औरों से पूजा करवा लेनी चाहिए पर खुद उपवास अवश्य करें. दिन में उपवास करें तथा रात में पूजा के बाद भोजन किया जा सकता है.

अगहन मास के शेष गुरुवार के दिन आठ सुहागनों या कुंवारी कन्याओं को आमंत्रित कर उन्हें सम्मान के साथ पीढा या आसान पर बिठाकर श्री महालक्ष्मी का रूप समझ कर हल्दी कुमकुम लगाएं. पूजा की समाप्ति पर फल प्रसाद वितरण किया जाता है तथा इस कथा की एक प्रति उन्हें दी जाती है. केवल स्त्री ही नहीं अपितु पुरष भी यह पूजा कर सकते हैं.

वे सुहागन या कुमारिका को आमंत्रित कर उन्हें हाथ में हल्दी कुंकुं प्रदान करें तथा व्रत कथा की एक प्रति देकर उन्हें प्रणाम करें. पुरुषों को भी इस व्रत कथा को पढऩा चाहिए.

जिस दिन व्रत हो, उपवास करे, दूध, फलाहार करें. खाली पेट न रहे, रात को भोजन से पहले देवी को भोग लगाएं एवं परिवार के साथ भोजन करें. पद्मपुराण में कहा गया कि जो कोई जातक हर वर्ष श्री महालक्ष्मी जी का यह व्रत करेगा उसे सुख सम्पदा और धन आदि का लाभ होगा.

दूर होती है विवाह में आने वाली बाधाएं

अगहन में गुरुवार को लक्ष्मी पूजा, शंख पूजा और भगवान श्रीकृष्ण के पूजन का विशेष महत्व है, क्योंकि अगहन भगवान श्रीकृष्ण का ही स्वरूप है,

जिससे भगवान की पूजा करने से सुख- समृद्धि और पुण्य की प्राप्ति होती है. अगहन मास में भगवान श्रीकृष्ण को पाने और प्रसन्न करने की कामना से महिलाएं व्रत-पूजन करती हैं.

इस व्रत को करने वाली नवयुवतियों को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है. जिन युवतियों के विवाह में बाधाएं या अन्य कोई समस्या के कारण रुकावट आती है, उन्हें इस व्रत को अवश्य करना चाहिए. व्रत के दौरान माता कात्यायनी का पूजन किया जाता है. माता के पूजन से श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं.

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