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15 साल में 3 करोड़ की मशीनें खरीदी कर बना दिया कबाड़ ,अब नए लेने की तय्यारी… – vishvasamachar

15 साल में 3 करोड़ की मशीनें खरीदी कर बना दिया कबाड़ ,अब नए लेने की तय्यारी…

केंद्र और राज्य परिवर्तित योजनाओं में मिली राशि का निगम ने किस तरह दुरुपयोग किया है, इसका उदाहरण बस डिपो में कंडम खड़ी रोड स्वीपिंग मशीन और जीई रोड किराने बना सी एंड डी प्लांट (कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलिशन) है।

इसी तरह शहर में खाली स्थानों में फेंके जाने वाले मृत पशुओं के निपटारे के लिए पशु शवदाह गृह भी बनाया गया।

लाखों रुपए खर्च करके निगम ने प्रोजेक्ट तैयार किया, लेकिन इस्तेमाल नहीं कर सका। अब फिर शासकीय योजनाओं के तहत मिलने वाले मद से प्लांट तैयार करने और मशीन खरीदी की तैयारी की जा रही है।

भिलाई निगम ने शहर में निकलने वाले वेस्ट बिल्डिंग मटेरियल से ब्लॉक और टाइल्स समेत अन्य सामग्री बनाने जीई रोड किनारे सी एंड डी प्लांट तैयार किया।

इसके लिए 5 लाख रुपए की मशीनरी खरीदी गई। पूरा सेटअप तैयार करने में करीब 30 लाख रुपए खर्च किए। प्लांट का उपयोग नहीं हुआ। अब मशीन गायब है।

गेट पर केवल सी एंड डी यूनिट का नाम ही बचा
निगम ने करीब साढ़े 4 साल पहले जोन-3 कार्यालय के पास यूनिट तैयार की।

शुरुआत में टाइल्स, स्टॉपर, पेवर ब्लॉक समेत अन्य सीमेंटेड सामग्री का निर्माण भी शुरू हुआ। तीन साल पहले एनजीटी टीम के आने पर उसे चालू किया गया। इसके बाद से इसता अता-पता ही नहीं है।

अब:- हाईटेक प्लांट बनाने बजट में की घोषणा
नए भवनों के निर्माण और पुरानों की मरम्मत के दौरान भारी मात्रा में वेस्ट मटेरियल निकल रहा है। यह शहर की बड़ी समस्या है।

इसके चलते बड़ी आबादी वाले निकायों के लिए केंद्रीय योजनाओं में सी एंड डी प्लांट तैयार करने के लिए मद जारी किया गया। भिलाई निगम में प्लांट तो बना लेकिन उसका उपयोग नहीं हुआ।

रोड स्वीपिंग मशीन
तीन कार्यकाल से स्वीपिंग मशीन की हो रही खरीदी
रोड स्वीपिंग मशीन एक घंटे में एक से डेढ़ किलोमीटर सड़क की सफाई करती है।

ये मशीन सड़क किनारे फुटपाथ के साथ-साथ जमा हाेने वाले कचरे को भी उठाती है। इतना ही नहीं सफाई के दौरान पानी का छिड़काव करने की वजह से धूल भी नहीं उठती है।

अब:- मशीन सड़क से ज्यादा डिपो में खड़ी दिखाई देती
रोड स्वीपिंग मशीन के अनुकूल शहर में कम सड़कें होने की वजह मशीनों का उपयोग नहीं हो पा रहा है।

इसके अलावा मशीन को चलाने में ईंधन खर्च व रखरखाव के रूप में भी भारी लागत आती है। इसकी वजह से शहर में स्वीपिंग मशीन से सफाई नहीं हो रही है।

अब तक खरीदी गई मशीनों में दो साल बाद खराबी आना शुरू हो जाता है।

पशु शवदाह गृह

सेटअप को चार साल बाद भी नहीं हो सका शुरू, न ही किसी ने ध्यान दिया
शहर में मृत पशुओं को किसी भी खाली स्थान पर फेंक दिया जाता है। आम लोग ऐसे जानवरों को इधर-उधर फेंक ही रहे हैं।

निगम अमला भी पीछे नहीं है। रेलवे लाइन किनारे से लेकर तमाम खाली स्थानों पर मृत पशु फेंके जा रहे हैं। सेमरिया में शव दाह गृह बना दिया था।

अब:- दूरी का हवाला देकर पूरी योजना को ही बंद करने का निर्णय ले लिया
एनजीटी की गाइडलाइन के मुताबिक पशु शवदाह गृह, स्लॉटर हाउस और सेग्रीग्रेशन प्लांट जैसे सेटअप को निकाय शहर से बाहर ही तैयार कर सकता है।

इसकी वजह से निगम ने शासन से सेमरिया गांव के पास हस्तांतरित कराया था। दूरी का हवाला देकर ध्यान नहीं दिया।

2.40 करोड़ की लागत से मशीनें खरीदी गईं
निगम के पिछले तीन कार्यकाल में करीब 6 रोड स्वीपिंग मशीनों की खरीदारी की। एक मशीन को खरीदने में 40 लाख रुपए खर्च किए।

करीब 2.40 करोड़ रुपए की लागत से खरीदी मशीनें शहर की सड़कों से ज्यादा निगम की वाहन शाखा के यार्ड में खड़ी रहती हैं। मृत पशुओं को सही तरीके से सेमरिया गांव में निगम ने पशु शवदाह गृह का निर्माण किया।

केंद्र से मिलने वाली राशि उसी मद में खर्च
रोहित व्यास, कमिश्नर, निगम भिलाई ने कहा “केंद्र और राज्य परिवर्तित योजनाओं का पैसा उसी मद के लिए खर्च किया जाता है, जिसके लिए प्रस्तावित किया गया होता है। सी एंड डी यूनिट बड़ा सेटअप तैयार होगा। इससे शहर को फायदा ही होगा। इसके अलावा अन्य मदों पर खर्च होने वाली राशि से शहर को लाभ मिलेगा। 

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