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भारत में आतंक मचाया था उज्बेकिस्तान से आए तैमूर ने, जानें क्या है समरकंद का इतिहास;वहीँ दौरे पर जा रहे प्रधानमंत्री मोदी… – vishvasamachar

भारत में आतंक मचाया था उज्बेकिस्तान से आए तैमूर ने, जानें क्या है समरकंद का इतिहास;वहीँ दौरे पर जा रहे प्रधानमंत्री मोदी…

एससीओ समिट में शामिल होने प्रधानमंत्री मोदी उज्बेकिस्तान के शहर समरकंद जा रहे हैं।

यह बेहद खूबसूरत शहर है और पुरानी मस्जिदों के लिए भी जाना जाता है, ताशकंद से लगभग 300 किलोमीटर दूर स्थित शहर समरकंद  के नाम का अर्थ होता है पत्थरों का किला।

दरअसल उज्बेक भाषा में समर का अर्थ पत्थर और कंद का मतलब किला होता है।

भारत के इतिहास में समरकंद का महत्व इसलिए है क्योंकि यहीं से आए एक लुटेरे ने खूब आतंक मचाया था और हिंदुओं का कत्लेआम किया था। 

चंगेज खान और तैमूर लंग ने मचाई थी भारत में तबाही
चंगेज खान और तैमूर लंग उज्बेकिस्तान के ही शासक थे। इन दोनों का ही नाम क्रूर शासकों में गिना जाता है। तैमूर के पोते उज्बेक के नाम पर ही इस देश का नाम उज्बेकिस्तान पड़ा है।

1398 में तैमूर भारत पहुंचा था। वह भारत से धन संपदा लूटना चाहता था और इसलिए किसी भी हद तक जाने को तैयार था।

अफगानिस्तान के रास्ते वह भारत पहुंचा और दिल्ली में कत्लेआम किया। वह लगभग तीन महीने तक भारत में रुका था। इस दौरान कई शहरों में उसने लूटपाट की और हिंदुओं का कत्लेआम किया।

दिल्ली में चार दिनतक उसने लूटपाट की और उसके जाने के बाद कहा जाता है कि दिल्ली उजड़ सी गई थी। 

समरकंद में तैमूर की कब्र
भारत में लूटपाट और कत्लेआम करने वाले तैमूर को हम भले ही विलेन मांगते हैं लेकिन मध्य एशिया में उसे हीरो और बहादुर लड़ाका माना जाता है।

वह एक विस्तारवादी मंगोल शासक था और उसने ईरान, ईराक, तुर्की और सीरिया के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया था।

बताया जाता है कि लूटपाट और साम्राज्य विस्तार के लिए 2 करोड़ लोगों को मौत के घाट उतार दिया। बाद में जब वह चीन पर आक्रमण करने निकला तो उसकी मौत हो गई। उसकी कब्र समरकंद में ही है। 

मुसलमानों और ईसाइयों के लिए अहम है यह शहर
समरकंद सिल्क रूट पर आने वाला शहर है। उज्बेकिस्तान एक मुस्लिम बहुल देश है। समरकंद में बहुत सारी पुरानी मस्जिदें हैं ऐसे में मध्य एशिया के बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं।

बताया जाता है कि पैगंबर मोहम्मद के चचेरे भाई इब्न अब्बास की कब्र भी समरकंद में ही है।

ईसाइयों के लिए भी इस शहर का महत्व है क्योंकि बाइबल में कहा गया है कि सेंट डैनियल भी अपने अंतिम समय में यहीं पहुंचे थे। इसलिए मुसलमान, ईसाई के साथ यहूदी भी यहां आते हैं। 

मकबरों का शहर
समरकंद को मकबरों का शहर कहा जाता है क्योंकि यहां बहुत ही खूबसूरत मकबरे हैं।

बताया जाता है कि यहां दो हजार के करीब मकबरे हैं। पर्टयन के स्तर से मशहूर इस शहर में लोग मकबरे देखने आते हैं।

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