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छत्तीसगढ़; धमतरी: फसल चक्र परिवर्तन के संबंध में परसतराई में कृषक परिचर्चा एवं किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया… – vishvasamachar

छत्तीसगढ़; धमतरी: फसल चक्र परिवर्तन के संबंध में परसतराई में कृषक परिचर्चा एवं किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया…

सैयद जावेद हुसैन (सह संपादक – छत्तीसगढ़):

धमतरी- कलेक्टर सुश्री नम्रता गांधी के मार्गदर्शन में जिले में जल, पर्यावरण और भूमि संरक्षण की दिशा में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।

कलेक्टर के निर्देश पर कृषि, उद्यानिकी और संबंधित विभागों द्वारा गांंवों में कृषक परिचर्चा आयोजित कर फसल चक्र परिवर्तन के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है।

इसी कड़ी में आज धमतरी विकासखण्ड के ग्राम परसतराई के किसान जिन्होंने फसल चक्र अपनाकर अपने जीवनस्तर को नई दिशा प्रदान कर खुशहाली की ओर अग्रसर हुए, उन्होंने जिले के 26 गांवों के प्रतिनिधियों से अपने अनुभवों को साझा किया।

इस अवसर पर परसतराई में फसल चक्र परिवर्तन हेतु कृषक चर्चा- परिचर्चा एवं किसान गोष्ठी कार्यक्रम आयोजित किया गया। 

कार्यक्रम में जल संरक्षण, भूमि संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण, फसल चक्र परिवर्तन, धान फसल लेने के नुकसान, दलहनी-तिलहनी फसल लेने के फायदे, कृषि पद्धतियों की जानकारी दी गई।

इसके अलावा वैज्ञानिक सुझाव एवं आंकलन, किसानों का अनुभव और कृषक प्रश्नोत्तरी आयोजित की गई। ग्राम पंचायत परसतराई के सरपंच परमानंद आडिल ने बताया कि पूर्व में परसतराई अकालग्रस्त गांव था और यहां अधिकतर छोटे किसान थे, जिन्हें दैनिक जीवन में पानी की कमी से आए दिन जूझना पड़ता था।

इसी समस्या का निदान करने ग्रामीणों ने बैठक कर फसल चक्र अपनाने का निर्णय लिया। इसके तहत गांव के 250 किसानों ने अपनी 450 एकड़ से अधिक भूमि पर ग्रीष्मकालीन धान के बदले दलहन, तिलहन एवं अन्य नगदी फसल ली।

इसका परिणाम यह हुआ कि बीते ग्रीष्मकालीन मौसम में गांव के किसानों को पानी की समस्या नहीं हुई। इसके साथ ही गांव के भूजल स्तर में भी वृद्धि हुई और प्रति एकड़ 65 हजार रूपये का फायदा हुआ। 

कार्यक्रम में उप संचालक कृषि मोनेश साहू ने बताया कि धान की फसल में पानी, खाद, दवाई, मेहनत की खपत अधिक होती है, जबकि दलहन, तिलहन और नगदी फसलों में इनकी खपत कम होती है।

उन्होंने कहा कि आप सभी इस गांव में फसल चक्र परिवर्तन और जल संरक्षण की दिशा में किए गए कार्यों को भलीभांति देखें और समझ लें साथ ही अपने-अपने गांवों में जाकर किसानों को फसल चक्र परितर्वन के लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा आप सभी को आवश्यक सहयोग एवं मार्गदर्शन प्रदाय किया जाएगा।

इस अवसर पर गांव में फसल चक्र हेतु बनाई गई योजनाओं और कार्यों को समझाने के लिए चारों विकासखण्डों से आए प्रतिनिधियों को अलग-अलग विभाजित कर परसतराई के किसानों ने विस्तृत जानकारी दी।

इस दौरान उन्होंने जल संरक्षण हेतु गांव में निर्मित किए गए जल संरचनाओं, फसल चक्र अपनाने से हुए फायदे सहित आय में वृद्धि के प्रयासों को भी बताया। इस मौके पर कृषक प्रश्नोत्तरी का आयोजन कर किसानों की समस्याओं का समाधान किया गया।

कार्यक्रम में धमतरी विकासखण्ड के ग्राम पोटियाडीह, रांवा, तरसींवा, भानपुरी, खपरी, कुरूद के सिंधौरीकला, बगदेही, गुदगुदा, सौराबांधा, सिलीडीह, खैरा, कोकड़ी, मगरलोड विकासखण्ड के गिरौद, कुण्डेल, नारधा, बोड़रा, भेण्डरी, शुक्लाभाठा, नवागांव, मेघा और नगरी विकासखण्ड के फरसियां, नवागांव क., छिपली, सलोनी, साल्हेभाठ, पांवद्वार के प्रतिनिधि सम्मिलित हुए।

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