Warning: include_once(/home/u140703092/domains/karmyoginews.com/public_html/wp-content/plugins/wp-super-cache/wp-cache-phase1.php): Failed to open stream: No such file or directory in /home/u459374497/domains/vishvasamachar.com/public_html/wp-content/advanced-cache.php on line 22

Warning: include_once(): Failed opening '/home/u140703092/domains/karmyoginews.com/public_html/wp-content/plugins/wp-super-cache/wp-cache-phase1.php' for inclusion (include_path='.:/opt/alt/php82/usr/share/pear:/opt/alt/php82/usr/share/php:/usr/share/pear:/usr/share/php') in /home/u459374497/domains/vishvasamachar.com/public_html/wp-content/advanced-cache.php on line 22
आरक्षण तो जनरल बोगी जैसा हो गया कि हम आ गए और दूसरे को नहीं आने देना: सुप्रीम कोर्ट जज… – vishvasamachar

आरक्षण तो जनरल बोगी जैसा हो गया कि हम आ गए और दूसरे को नहीं आने देना: सुप्रीम कोर्ट जज…

अनुसूचित जाति और जनजाति के आरक्षण में उप-वर्गीकरण पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को ऐतिहासिक फैसला दिया।

शीर्ष अदालत की 7 जजों की बेंच ने साफ कहा कि एससी और एसटी कोटे में भी वर्गीकरण होना चाहिए क्योंकि यह एकरूपता वाला समाज नहीं है।

इसमें शामिल जातियों की भी अलग-अलग समस्याएं और उन्हें जिस भेदभाव का सामना करना पड़ता है। उसकी प्रकृति में भी अंतर है।

यही नहीं बेंच में शामिल 7 में से 4 जजों ने एससी और एसटी कोटे में भी क्रीमी लेयर की वकालत की।

उन्होंने कहा कि आरक्षण एक पीढ़ी के लिए ही होना चाहिए। एक बार यदि किसी को आरक्षण का लाभ लेकर नौकरी मिल जाती है तो वह जनरल कैटिगरी के स्तर पर आ जाता है।

ऐसे में आरक्षण का लाभ पाने वाले लोगों की दूसरी पीढ़ी को क्रीमी लेयर के दायरे में लाना चाहिए। बेंच में शामिल एकमात्र दलित जज जस्टिस बीआर गवई ने कहा आरक्षण का सही उद्देश्य है कि देश में समानता को समझा जाए।

असमानता वाले समूह में आखिर कैसे सबको एकसमान माना जाता है। इस दलील के आधार पर बेंच ने कहा कि एससी और एसटी में भी क्रीमी लेयर को लागू करना चाहिए।

जस्टिस गवई ने कहा, ‘सरकार को क्रीमी लेयर की पहचान करने के लिए कोई नीति बनानी चाहिए और लाभ पा चुके लोगों को उससे बाहर करना चाहिए। समानता को पाने का यही एकमात्र तरीका है।’

जस्टिस बीआर गवई ने अपने लंबे फैसले में कई महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं। उन्होंने कहा कि किसी दलित आईएएस, आईपीएस अथवा अन्य किसी अधिकारी के बच्चे की तुलना गरीब परिवार की संतान से नहीं की जा सकती, जो ग्राम पंचायत या फिर जिला परिषद के स्कूल में पढ़ता हो।

उन्होंने कहा कि एससी और एसटी कोटे में भी वर्गीकरण का विरोध करना ऐसे ही है, जैसे ट्रेन के जनरल कोट में संघर्ष होता है।

उन्होंने कहा कि जनरल कोच में ऐसा होता है कि जो पहले बाहर रहता है, वह भीतर आने के लिए संघर्ष करता है। इसके बाद वह जब भीतर आ जाता है तो फिर हरसंभव प्रयास करता है कि बाहर वाला न आने पाए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

nagatop

nagatop

kingbet188