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बेटों और पति की मौत से डिप्रेशन में थी, फिर मैंने… राष्ट्रपति ने बयां किया अपना दुखद अतीत… – vishvasamachar

बेटों और पति की मौत से डिप्रेशन में थी, फिर मैंने… राष्ट्रपति ने बयां किया अपना दुखद अतीत…

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का कहना है कि योग, आध्यात्म और ध्यान ने उनकी काफी मदद की है।

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से चर्चा के दौरान राष्ट्रपति मुर्मू ने जीवन के कई दुखद पहलुओं को याद किया और बताया कि वह बेहद मुश्किल से उन हालात से निकली हैं।

राष्ट्रपति मुर्मू अपने दो बेटों और पति को गंवा चुकी हैं। चर्चा के दौरान उन्होंने बताया कि कभी भी राष्ट्रपति बनने का सपना नहीं देखा था।

मंगलवार को मुर्मू ने कहा कि उनके दो बेटों और पति की मौत के बाद आध्यात्म और ध्यान ने डिप्रेशन से बाहर आने में मदद की। उन्होंने कहा, ‘मैं रोती हूं। मैंने काफी कुछ खोया है। अच्छा और जीवित जैसा महसूस करने के लिए मैंने योग और ध्यान करना शुरू किया। किसी ने मुझे योग की सलाह दी थी। अगर आपका दिमाग खाली है, तो नकारात्मकता घर कर जाएगी’।

उन्होंने कहा, ‘मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि नकारात्मकता से दूर रहने के लिए काम करने में समय खर्च करना चाहिए।’ केंद्रीय मंत्री ईरानी को दिया इंटरव्यू वर्ल्ड रेडियो डे यानी 13 फरवरी को एयर किया गया है।

राष्ट्रपति मुर्मू के एक बेटे की साल 2009, दूसरे बेटे की साल 2013 और पति की साल 2014 में मौत हो गई थी।

राष्ट्रपति बनने पर क्या बोलीं
उन्होंने कहा, ‘मैं अपने गांव की साधारण सी महिला थी और अमरूद और आम चुराया करती थी या तालाब में नहाया करती थी।

मैंने कभी भी राष्ट्रपति या कोई अन्य अधिकारी बनने के बारे में नहीं सोचा। मेरी दादी ने मुझे शिक्षा और लक्ष्य हासिल करने के लिए रास्ते में मेरे संघर्ष की अहमियत का एहसास कराया।’

बताया जीवन जीने के लिए क्या जरूरी
पीटीआई भाषा के अनुसार, गुजरात के वलसाड जिले में जैन धर्म से जुड़े आध्यात्मिक केंद्र श्रीमद राजचंद्र मिशन धरमपुर में एक सभा को संबोधित करते हुए मुर्मू ने कहा कि आज ज्यादातर लोग भौतिक सुख और संपत्ति पाने की ऐसी दौड़ में लगे हैं जिसका कोई सुखद अंत नहीं हो सकता।

उन्होंने कहा, ‘वे भूल गए हैं कि उन्हें जीवन में वास्तव में क्या चाहिए। हम अपनी आध्यात्मिक संपदा को धीरे-धीरे भुलाते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें याद रखना चाहिए कि धन कमाने के साथ-साथ मानसिक शांति, समभाव, संयम और सदाचार भी जरूरी है।’

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