Warning: include_once(/home/u140703092/domains/karmyoginews.com/public_html/wp-content/plugins/wp-super-cache/wp-cache-phase1.php): Failed to open stream: No such file or directory in /home/u459374497/domains/vishvasamachar.com/public_html/wp-content/advanced-cache.php on line 22

Warning: include_once(): Failed opening '/home/u140703092/domains/karmyoginews.com/public_html/wp-content/plugins/wp-super-cache/wp-cache-phase1.php' for inclusion (include_path='.:/opt/alt/php82/usr/share/pear:/opt/alt/php82/usr/share/php:/usr/share/pear:/usr/share/php') in /home/u459374497/domains/vishvasamachar.com/public_html/wp-content/advanced-cache.php on line 22
chandrayaan-3 को लैंडिंग में क्यों लग रहा इतना वक्त? चांद पर सीधे और घूमकर जाने में क्या फर्क… – vishvasamachar

chandrayaan-3 को लैंडिंग में क्यों लग रहा इतना वक्त? चांद पर सीधे और घूमकर जाने में क्या फर्क…

भारत का चंद्र मिशन चंद्रयान-3 सफलता के झंडे गाड़ते हुए चांद को चूमने के लिए लगातार आगे बढ़ रहा है।

रविवार देर रात इसरो द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, चांद की सतह और चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर की दूरी सिर्फ 25 किलोमीटर रह गई थी।

अब बस लैंडिंग का इंतजार है। दूसरी तरफ रूस का लूना-25 मिशन फेल चुका है। रविवार देर रात लैंडिंग की कोशिश में चंद्र सतह से टकराने के कारण रूस का यान क्रैश हो गया।

भारत ने अपना चंद्र मिशन 14 जुलाई को शुरू किया था, जबकि रूस ने 11 अगस्त को लॉन्चिंग की थी। अब सवाल यह है कि एक महीने से भी ज्यादा वक्त बीत जाने के बाद भी चंद्रयान-3 ने लैंडिंग क्यों नहीं की है, जबकि रूस ने महज 9वें दिन ही अपना यान चांद के बिल्कुल करीब पहुंचा दिया था। चलिए जानते हैं, ऐसा क्यों है…

चांद की धरती से दूरी करीब 3.83 लाख किलोमीटर है। अंतरिक्ष यान की रफ्तार अमूमन पांच मील प्रति सैकेंड होती है। इसका मतलब यह हुआ कि धरती से लॉन्च किया गया यान कुछ ही दिनों में चांद तक पहुंच सकता है। जैसा ही रूस के साथ हुआ। लेकिन, भारत के चंद्रयान-3 को चांद पर लैंडिंग में इतना वक्त क्यों लग रहा है?

चांद पर जाने के दो तरीके
दरअसल, चांद या किसी भी ग्रह पर जाने के दो तरीके होते हैं। पहला- सीधे और दूसरा- घूम-घूमकर। भारत का चंद्रयान-3 दूसरे तरीके यानी घूम-घूमकर चांद की तरफ बढ़ रहा है।

वहीं, नासा और रूस के लूना-25 जैसे अंतरिक्ष यान चांद पर सीधे भेजे गए हैं। साल 2010 में चांद ने अपने अंतरिक्ष यान चंगाई-2 को सिर्फ चार दिन में ही चांद की सतह पर पहुंचा दिया था। रूस को भी अपने लूना-25 यान को अंतरिक्ष यान तक पहुंचाने में भी सिर्फ 9 दिन ही लगे। हालांकि यह और बात है कि रूस का चंद्र मिशन दुर्भाग्यपूर्ण फेल हो गया।

सीधे और घूमकर जाने में फर्क
चांद पर सीधे अंतरिक्ष यान ले जाने में हजारों करोड़ रुपए खर्च होते हैं। इसके लिए स्पेशल रॉकेट को लॉन्च किया जाता है।

यही वजह है कि इसरो का अंतरिक्ष यान चंद्रयान-3 अन्य देशों के चांद मिशन की तुलना में काफी सस्ता है। खर्चा कम और काम ज्यादा। इसरो ने इसी मंत्र के साथ चंद्रयान-3 को लॉन्च किया है। 

दूसरी वजह
चंद्रयान-3 को सीधे न भेजकर घूमकर भेजने की दूसरी सबसे बड़ी वजह है- ईंधन का कटौती। भारत का मिशन सिर्फ चंद्रमा की सतह पर पहुंचना ही नहीं है, बल्कि, विक्रम लैंडर को लंबे वक्त तक चांद की सतह पर घूमने और चांद की जमीन और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल करना भी है।

चंद्रयान-3 को घूमकर भेजने में यान के ईंधन को बचाने की कोशिश की गई है। ताकि यान लंबे वक्त तक चांद पर रह सके और काम आ सके।  

गौरतलब है कि 14 जुलाई को आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीशधवन केंद्र से लॉन्च किया गया चंद्रयान-3 जल्द ही लॉन्चिंग को तैयार है। 23 अगस्त शाम पौने 6 बजे विक्रम लैंडर चांद की सतह को चूमकर इतिहास रचने वाला है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *