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युद्ध के बीच सहयोगी तलाश रहे पुतिन, अफ्रीकी देशों को दिया कर्ज माफी का ऑफर; अनाज भी भेजेगा रूस… – vishvasamachar

युद्ध के बीच सहयोगी तलाश रहे पुतिन, अफ्रीकी देशों को दिया कर्ज माफी का ऑफर; अनाज भी भेजेगा रूस…

यूक्रेन युद्ध के बीच रूस ऐसे सहयोगियों की तलाश कर रहा है जो संकट के समय उसकी मदद कर सकें।

यही वजह है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने छह अफ्रीकी देशों को मुफ्त अनाज सप्लाई का वादा किया है। रूस काला सागर अनाज समझौते के टूटने का फायदा उठाना चाहता है।

रूसी राष्ट्रपति का कहना है कि उनका देश और सेंट पीटर्सबर्ग शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले अफ्रीकी नेता एक बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था को बढ़ावा देने और “नवउपनिवेशवाद” से लड़ने पर सहमत हुए हैं।

पुतिन ने सहयोगियों को लुभाने के लिए ऋण माफी और अनाज की पेशकश की है।

पुतिन ने शुक्रवार को दो दिवसीय शिखर सम्मेलन के अंत में कहा, “अफ्रीका पर रूस का ध्यान लगातार बढ़ रहा है।” इस बैठक से यह देखा जा रहा है कि आखिर अफ्रीका में रूस को कितना समर्थन हासिल है।

जानकारों का मानना है कि यूक्रेन में युद्ध के कारण अंतरराष्ट्रीय अलगाव के बावजूद अफ्रीकी देशों में रूस का समर्थन बरकरार है। रूसी नेता ने अफ्रीका का कर्ज खत्म करने की भी प्रतिज्ञा ली है। 

गुरुवार को, रूसी नेता ने छह अफ्रीकी देशों को मुफ्त अनाज देने का वादा किया। इन देशों को पुतिन ने आश्वासन दिया कि रूस काला सागर अनाज समझौते से हटने के बावजूद वैश्विक खाद्य संकट को टालने की कोशिश कर रहा है। बता दें कि रूस संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता से हुए काला सागर अनाज समझौते से हट गया है।

इस समझौते के तहत दुनिया के सबसे बड़े गेहूं उत्पादक देश यूक्रेन का अनाज रूसी बंदरगाहों से होते हुए बाकी दुनिया के देशों में जाता था। 

अब रूस ने इस समझौते को तोड़ दिया है जिससे वैश्विक चुनौती सामने आ गई है। हालांकि इस मौके का फायदा उठाते हुए पुतिन ने अफ्रीकी देशों को मुफ्त अनाज देने का वादा कर दिया है। साथ ही इन देशों पर आ रहे रूसी कर्ज को भी मांफ करने का वादा किया है।

रूसी शहर में हुए शिखर सम्मेलन में 17 राष्ट्राध्यक्षों सहित 49 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इन देशों ने एक संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए जिसमें “अधिक न्यायसंगत, संतुलित और स्थिर बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था की स्थापना, अफ्रीकी महाद्वीप में सभी प्रकार के अंतरराष्ट्रीय टकराव का दृढ़ता से विरोध करने” का आह्वान किया गया।

रूस अफ्रीका का सहयोगी बनना चाहता है। यही कारण है कि वह अफ्रीका की ओर अधिक से अधिक पहल कर रहा है। यहां तक कि राष्ट्रपति पुतिन अफ्रीका में सोवियत युग के निवेश को पुनर्जीवित करना चाहते हैं। रूस अफ्रीका महाद्वीप पर संयंत्र और कारखाने बनाने और राजनयिक मिशन बढ़ाने की योजना बना रहा है।

काला सागर अनाज समझौते से हटने के बाद पुतिन अफ्रीका को अनाज आपूर्ति बनाए रखने का भी वादा कर रहे हैं। वह उच्च खाद्य कीमतों और मुद्रास्फीति के लिए पश्चिम को दोषी ठहरा रहे हैं। पुतिन ने कहा कि अफ्रीका “शक्ति का नया केंद्र” है। इसकी राजनीतिक और आर्थिक भूमिका तेजी से बढ़ रही है। …हर किसी को इस वास्तविकता को ध्यान में रखना होगा।

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