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भिलाई; नाम बस बदला है, लूट अब भी वैसे के वैसी ही,हाईटेक मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में आयुष्मान कार्ड के बावजूद जमा कराए ढाई लाख,कोरे कागज में दिया गया था बिल… – vishvasamachar

भिलाई; नाम बस बदला है, लूट अब भी वैसे के वैसी ही,हाईटेक मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में आयुष्मान कार्ड के बावजूद जमा कराए ढाई लाख,कोरे कागज में दिया गया था बिल…

छत्तीसगढ़ में आयुष्मान योजना से इलाज महज़ एक मजाक बनकर रह गया है।

बड़े बड़े अस्पतालों में आयुष्मान योजना से मरीज का इलाज के बाद परिजनों से मोटी रकम जमा कराई जा रही है।

ने लिखित में ये दिया है कि उसने आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद मरीज के परिजनों से रकम जमा करवाई थी। जिसे उसने लौटाने की बात कही है। सीएमएचओ दुर्ग डॉ. जेपी मेश्राम ने इस मामले जांच कर कार्रवाई करने की बात कही है।

समाजसेवी निशा परघनिया ने कहा कि हाईटेक अस्पताल के खिलाफ काफी समय से इलाज के नाम पर मनमाना पैसा लेने की शिकायत मिल रही थी।

मरोदा निवासी द्वारिकादास मानिकपुरी (60 साल) की मौत ने उस सच से पर्दा उठा दिया है। उन्होंने बताया कि हाईटेक सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में 8 नवंबर को द्वारिकादास को भर्ती कराया गया था।

उनके गले की नस का ऑपरेशन हुआ था। पूरा इलाज आयुष्मान कार्ड से हुआ और उससे ढाई लाख रुपए के करीब जो रकम काटी गई उसका मैसेज भी परिजनों के मोबाइल में आया। इसके बाद भी अस्पताल के लोगों ने महंगा इलाज होने की बात कहकर परिजनों से ढाई लाख रुपए अलग से जमा करवा लिया था।

बुजुर्ग की मौत के बाद जब परिजनों ने हंगामा किया और पुलिस आई, तब जाकर हाईटेक अस्पताल प्रबंधन ने स्वीकार किया उन्होंने आयुष्मान योजना से इलाज के बाद भी परिजनों से इलाज का पैसा जमा करवाया था।

हाईटेक अस्पताल के मेडिकल सुप्रीटेंडेंट डॉ. रंजन सेनदास गुप्ता ने इस बात को स्वीकार किया द्वारिकादास मानिकपुरी का इलाज उनके यहां आयुष्मान योजना से हो रहा था।

उन्होंने कहा कि सरकार से आयुष्मान का पैसा काफी लेट आता है। इसके चलते वो लोग मरीज के परिजनों से एडवांस में पैसा जमा करवाते हैं।

उन्होंने ये बात बकायदा लिखित में दी है। उन्होंने लिखा है कि द्वारिकादास का इलाज 8 नवंबर से हाईटेक अस्पताल में किया जा रहा है।

इस दौरान उनकी मृत्य 1 दिसंबर को हो गई है। उनका इलाज आयुष्मान के अंतर्गत किया जा रहा था। उसके सभी बिलों की जांच करके यदि कोई अतरिक्त बिलिंग हुई है तो वो पैसा लौटाया जाएगा।

मरीज के परिजनों ने बताया कि डॉक्टरों ने उन्हें एक सादे कागज में बिल बनाकर रुपए जमा करने को कहा था।

उन्होंने डिमांड के मुताबिक करीब ढाई लाख रुपए अस्पताल में जमा कराए। अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें जो बिल दिया उसमें कहीं ये नहीं लगा कि किस मरीज के लिए कब किस समय दवा ली गई है। केवल दवाओं का नाम पर उसका रेट दर्शाकर बिल बनाया गया है।

न्यायालय तक जाएगा मामला

समाजसेवी निशा परघनिया ने बताया कि वो इस मामले को कोर्ट तक ले जाएंगी। उनके पास पर्याप्त सबूत हैं कि, हाईटेक अस्पताल में आयुष्मान से इलाज के बाद भी मरीज के परिजनों से मोटी रकम जमा कराई गई।

उनसे इलाज में देरी का भय दिखाकर रकम जमा कराई गई। निशा का कहना है कि वह स्वास्थ्य विभाग के बड़े अधिकारियों से भी इसकी शिकायत करेंगी और मांग करेंगी की अस्पताल का रिजस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाए।

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